अटलजी का पार्थिव शरीर घर पहुंचा, कल 4 बजे होगा अंतिम संस्कार; मोदी ने कहा- मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं

अटलजी 2009 से बीमार थे, 2015 में आखिरी तस्वीर सामने आई थी
– वे 10 बार लोकसभा सदस्य, दो बार राज्यसभा सदस्य और तीन बार प्रधानमंत्री रहे
– 11 जून को एम्स में भर्ती किया गया था, दो दिन से वेंटिलेटर पर थे


नई दिल्ली. भारत रत्न और तीन बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार शाम 5.05 बजे निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे। अटलजी के निधन पर 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई। दिल्ली समेत मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड, पंजाब के सरकारी स्कूलों-कॉलेजों में छुट्टी का ऐलान किया गया। अटलजी दो महीने से एम्स में भर्ती थे, लेकिन पिछले 36 घंटों के दौरान उनकी सेहत बिगड़ती चली गई। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। इससे पहले वे 9 साल से बीमार थे। राजनीति की आत्मा की रोशनी जैसे घर में ही कैद थी। वे जीवित थे, लेकिन नहीं जैसे। किसी से बात नहीं करते थे। जिनका भाषण सुनने विरोधी भी चुपके से सभा में जाते थे, उसी सरस्वती पुत्र ने मौन ओढ़ रखा था।
अटलजी का पार्थिव शरीर कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके आवास पर रातभर रखा जाएगा। सुबह 9 बजे पार्थिव देह भाजपा मुख्यालय ले जाई जाएगी। दोपहर 1 बजे अंतिम यात्रा शुरू होगी, जो राजघाट तक जाएगी। वहां महात्मा गांधी के स्मृति स्थल के नजदीक 4 बजे अटलजी का अंतिम संस्कार किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अटलजी की अस्थियां प्रदेश की सभी नदियों में प्रवाहित की जाएंगी। अमेरिका ने भी अटलजी के निधन पर दुख जाहिर किया। भारत में अमेरिका के दूतावास ने वक्तव्य जारी कर कहा- अटलजी ने भारत और यूएस के रिश्तों को मजबूत करने में अभूतपूर्व योगदान दिया। इसके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।


मोदी ने कहा- भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है : श्रद्धांजलि में मोदी ने सात ट्वीट किए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। यह मेरे लिए निजी क्षति है। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है। लेकिन वो हमें कहकर गए हैं- मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं। मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?’’
शाह बोले- देश ने अजातशत्रु राजनेता खोया : भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, “अटलजी के निधन के साथ ही राजनीति के आकाश का ध्रुव तारा नहीं रहा। अटलजी के जाने के साथ ही देश में एक अजातशत्रु राजनेता खोया है, साहित्य ने एक मूर्धन्य कवि को खोया। पत्रकारिता ने एक स्वभावगत पत्रकार को खोया। संसद ने 1957 से देश की आवाज जो बने हुए थे, उनको खोया। जनसंघ से संस्थापक सदस्य और भाजपा ने अपना पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष खोया है। करोड़ों युवाओं ने अपनी प्रेरणा को खोया है। अटलजी के न रहने से देश की राजनीति में जो रिक्तता रही है, उसे लंबे समय तक भरना मुश्किल है। बहुआयामी व्यक्तित्व के साथ अटलजी कुशल प्रशासक थे। सार्वजनिक जीवन में अटलजी के जैसे व्यक्तित्व के जाने से कभी न पूरी होने वाली क्षति हुई है। चाहे इमरजेंसी की लड़ाई हो, यूएन में कश्मीर की आवाज बुलंद करना हो, हिंदी के फैलाव को आगे ले जाना हो, अटलजी ने हमेशा भाजपा के नेता के नाते नहीं देश के नेता के नाते काम किया। मैं करोड़ों कार्यकर्ताओं की ओर से उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करता हूं। वे काम अधूरा छोड़कर गए हैं, पार्टी उसे मिशन की तरह करेगी।9 बजे उनके पार्थिव शरीर को भाजपा मुख्यालय ले जाया जाएगा। 1 बजे उनकी अंतिम यात्रा निकलेगी और 4 बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा।”


ये नेता मिलने आए : दो दिन में अटलजी का हालचाल जानने के लिए एम्स में प्रधानमंत्री के अलावा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, वाजपेयी के छह दशक तक साथी रहे पूर्व प्रधानमंत्री लालकृष्ण अाडवाणी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, सुमित्रा महाजन, वसुंधरा राजे, स्मृति ईरानी, सुरेश प्रभु, जेपी नड्डा, शिवराज सिंह चौहान, रामविलास पासवान, डॉ. हर्षवर्धन, जितेंद्र सिंह, अश्वनी कुमार चौबे, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, बसपा प्रमुख मायावती और अमर सिंह पहुंचे थे।
पूर्व प्रधानमंत्री व भारतीय राजनीति की महान विभूति श्री अटल बिहारी वाजपेयी के
देहावसान से मुझे बहुत दुख हुआ है। विलक्षण नेतृत्व, दूरदर्शिता तथा अद्भुत भाषण उन्हें
एक विशाल व्यक्तित्व प्रदान करते थे।उनका विराट व स्नेहिल व्यक्तित्व हमारी स्मृतियों में बसा रहेगा—राष्ट्रपति कोविन्द

— President of India (@rashtrapatibhvn)
मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है।
हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है। — Narendra Modi (@narendramodi)
Today India lost a great son. Former PM, Atal Bihari Vajpayee ji, was loved and respected by millions. My condolences to his family & all his admirers. We will miss him.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi)
मोदी ने लाल किले से अटलजी को याद किया था : प्रधानमंत्री भी उनकी सेहत का हाल जानने पिछले दो महीनों में कई बार एम्स जा चुके थे। बुधवार शाम भी वे एम्स पहुंचे थे। इससे पहले 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्होंने लाल किले की प्राचीर से दिए भाषण में भी कश्मीर के संदर्भ में अटलजी को याद किया था। उन्होंने कहा था- वाजपेयीजी ने कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत का जिक्र किया था। हम इसी पर आगे बढ़ रहे हैं।


तीन साल से कोई तस्वीर सामने नहीं आई : अटलजी की तस्वीर पिछली बार 2015 में सामने आई थी। तब तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए वाजपेयी को उनके घर जाकर भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था।
2009 में तबीयत बिगड़ी थी, वेंटिलेटर पर रखा गया था :2009 में वाजपेयी की तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें सांस लेने में दिक्कत के बाद कई दिन वेंटिलेटर पर रखा गया था। हालांकि, बाद में वे ठीक हो गए और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। बाद में कहा गया था कि वाजपेयी लकवे के शिकार हैं। इस वजह से वे किसी से बोलते नहीं हैं। बाद में उन्हें स्मृति लोप भी हो गया था। उन्होंने लोगों को पहचानना भी बंद कर दिया।
Former Prime Minister & Bharat Ratna passes away in AIIMS. He was 93.

— ANI (@ANI)
तीन बार प्रधानमंत्री बने : वाजपेयी सबसे पहले 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। दूसरी बार वे 1998 में प्रधानमंत्री बने। सहयोगी पार्टियों के समर्थन वापस लेने की वजह से 13 महीने बाद 1999 में फिर आम चुनाव हुए। 13 अक्टूबर 1999 को वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। इस बार उन्होंने 2004 तक अपना कार्यकाल पूरा किया।
2005 में सक्रिय राजनीति से संन्यास लिया : अटलजी ने 2005 में मुंबई में एक रैली में ऐलान कर दिया कि वे सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रहे हैं और लालकृष्ण अाडवाणी और प्रमोद महाजन को बागडोर सौंप रहे हैं। उस वक्त प्रधानमंत्री ने कहा था कि वाजपेयी मौजूदा राजनीति के भीष्म पितामह हैं।


1924 में ग्वालियर में जन्मे, मूल रूप से कवि और शिक्षक : वाजपेयी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे। वे मूलत: कवि थे और शिक्षक भी रह चुके थे। 1951 में जनसंघ की स्थापना हुई और अटलजी ने चुनावी राजनीति में प्रवेश किया। 1957 में वाजपेयी मथुरा से लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन हार गए। हालांकि, बलरामपुर सीट से वे जीत गए। 1975-77 के आपातकाल के दौरान वे गिरफ्तार किए गए। 1977 के बाद जनता पार्टी की मोरारजी देसाई की सरकार में वे विदेश मंत्री भी रहे। 1980 में उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी। वे 10 बार लोकसभा सदस्य रहे।