प्रदेश में दोनों प्रमुख राजनैतिक दलों के कर्ताधर्ताओं ने इस बार भी चुनाव के दौरान पार्टी के सिद्धांतों को तिलांजलि देते हुए एक बार फिर अपने कमजोर नेताओं को बेगाना छोडक़र दूसरे दलों के मजबूत नेताओं पर भरोसा जताया है। इस मामले में भाजपा कुछ अधिक ही उदार बनी हुई है। कांग्रेस ने इस बार भी प्रत्यााशी चयन में अपने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है। इससे दोनो ही दलों में असंतोष के स्वर दिख रहे हैं। जिसकी वजह से
पार्टी को कई मोर्चों के साथ असंतुष्टों से भी जूझना पड़ रहा है। इस स्थिति की वजह से उन कार्यकर्ताओं को बड़ी परेशानी में डाल दिया है जो वर्षों तक विरोधी दल में होने की वजह से उसका विरोध करते रहे हैं, लेकिन अब पार्टी मनमर्जी के चलते उन्हें उसके जयकारे लगाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
देवतालाब – कांग्रेस ने पिछली बार हारे अपने नेता उदयप्रकाश मिश्र की बजाए बसपा से आईं विद्यावती पटेल पर भरोसा जताया है। विद्यावती 2013 के चुनाव में दूसरे नंबर पर थीं। कांग्रेस के मिश्र तीसरे नंबर पर थे। विद्यावती महज 3885 वोट से हारी थीं। जबकि, कांग्रेस प्रत्याशी 6473 वोट से हारे थे। यह सीट अभी भाजपा विधायक गिरीश गौतम के पास हैं। वे ही भाजपा प्रत्याशी भी हैं।
देवसर -यहां कांग्रेस ने सपा में जा चुके वंशमणि वर्मा को वापस लाकर भरोसा जताया है। वंशमणि 1998 में कांग्रेस में थे, फिर 2003 में सपा में चले गए। 2013 में निर्दलीय चुनाव लड़े और दूसरे नंबर पर रहे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो गया था। यहां भाजपा विधायक राजेंद्र कुमार थे, लेकिन भाजपा ने टिकट बदलकर सुभाष वर्मा को उतारा है।
मानपुर -यहां पिछली बार की निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञानवती सिंह पर भरोसा जताया है। ज्ञानवती कांग्रेस से नाराज होकर निर्दलीय मैदान में थीं। वे दूसरे नंबर पर आई थीं, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी शंकुतला प्रधान तीसरे नंबर पर आई थीं। यहां कांग्रेस ने पहले बसपा से आए तिलकराज को टिकट दिया, लेकिन बाद में उस टिकट को रद्द करके ज्ञानवती को दे दिया। दोनों सूरत में अपनी पिछली प्रत्याशी शंकुतला को कमजोर माना है। यहां भाजपा विधायक मीना सिंह हैं, जिन्हें दोबारा मैदान में उतारा गया है।
गाडरवाड़ा – 2013 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर दूसरे नंबर पर रहने वाली सुनीता पटेल को कांग्रेस ने टिकट दिया है। सुनीता 2013 में तीसरे नंबर पर आई थी। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी साधना स्थापक से 12 हजार वोट ज्यादा पाए थे। सुनीता ही 35889 वोट ले गई थी, जिससे कांग्रेस प्रत्याशी बुरी तरह पराजित हुई। विजयी भाजपा विधायक गोविंद सिंह पटेल हुए थे, जो इस बार भी भाजपा प्रत्याशी हैं।
बड़वाह – यहां पिछली बार कांग्रेस से बागी होकर सचिन बिरला 61970 वोट ले गए थे। इतने वोट फिसलने के कारण कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र सिंह सोलंकी 53277 वोट से पराजित हुए। यहां तक कि उनकी जमानत तक जब्त हो गई। विजेता हितेंद्र सिंह रहे, जो इस बार भी भाजपा प्रत्याशी हैं, इसलिए अपने राजेंद्र सिंह की बजाए कांग्रेस ने सचिन को मैदान में उतारा है। वह भी दिग्गज नेता अरुण यादव की नाराजगी को दरकिनार करके।
जावद -2013 में निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमार अहीर दूसरे नंबर और कांग्रेस प्रत्याशी अनीस टांक तीसरे नंबर पर थे। निर्दलीय राजकुमार 42503 वोट ले गए थे, जिससे कांग्रेस प्रत्याशी अनीस की जमानत तक जब्त हो गई थी। अनीस को केवल 2294 वोट मिले थे। राजकुमार कांग्रेस से नाराज होकर निर्दलीय लड़े थे। 56154 वोट पाकर भाजपा के ओमप्रकाश सकलेचा जीते थे। अब फिर भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश हैं, इसलिए कांग्रेस ने अनीस को छोड़ अहीर पर दांव खेला है।
विजयराघोगढ़ – भाजपा की पिछली प्रत्याशी पद्मा शुक्ला को कांग्रेस ने उतारा है। यहां कई चेहरे कांग्रेस के पास थे, लेकिन उनके कमजोर होने के कारण भाजपा प्रत्याशी व राज्यमंत्री संजय पाठक के सामने पद्मा को उतारा है। पिछले चुनाव में संजय कांग्रेस में थे, तब पद्मा भाजपा प्रत्याशी होकर केवल 929 की हारी थी। इस बार दोनों प्रत्याशी पार्टी बदलकर आमने-सामने हैं।
होशंगाबाद – इस सीट पर भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व मंत्री सरताज सिंह को उतारा है। यहां विधानसभा अध्यक्ष सीतासरन शर्मा भाजपा से विधायक हैं। इस सीट पर पिछली बार रवि जायसवाल कांग्रेस से हारे थे। सरताज को मजबूत चेहरा मानकर यहां के बाकी स्थानीय कांग्रेस चेहरे दरकिनार कर दिए गए।
भाजपा के लिए यह बेगाने हुए भरोसेमंद
भाजपा ने कांग्रेस की बजाए अपने चेहरों पर ज्यादा भरोसा किया है। बेगानों में मु यत: तीन निर्दलीय विधायकों को सीधे तौर पर अपनी पार्टी से मैदान में उतारा है। इसमें सीहोर से सुदेश राय पिछली बार कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय तौर पर विधायक बने थे। यहां से भाजपा से ऊषा सक्सेना पिछली बार हारी थीं। वहीं, सिवनी से निर्दलीय विधायक दिनेश राय मुनमुन पहले से भाजपा के प्रति झुकाव रखते थे। सिवनी में भाजपा से पिछली बार नरेश दिवाकर लड़े थे। इसके अलावा थांदला से निर्दलीय विधायक कल सिंह भाबर को उतारा है, जहां पिछली बार भाजपा प्रत्याशी गौरेसिंह वसुनिया तीसरे नंबर पर आए थे। कल सिंह भाजपा से नाराज होकर निर्दलीय होकर लड़े थे। इसके अलावा आलोट सीट पर कांग्रेस से आए अजीत बौरासी को टिकट दिया गया है। इसके लिए अपने घोषित प्रत्याशी का टिकट भी रद्द किया गया। इसके अलावा चंदेरी सीट पर कांग्रेस से भाजपा में आए भूपेंद्र द्विवेदी को उतारा है। यहां पिछली बार राव राजुकार यादव भाजपा प्रत्याशी थे, जिन पर इस बार पार्टी ने भरोसा नहीं किया।