प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव में हुए अधिक मतदान के बाद भी भाजपा व कांग्रेस द्वारा अपनी सरकार बनने का दावा किया जा रहा है। इन दोनों ही दलों के नेताओं द्वारा इन दावों के दौरान आत्मविश्वास भी दिख रहा है। दोनो ही दलों के नेता विरोधी पार्टी के सरकार से बाहर होने के दावे भी किए जा रहे है। ऐसे में तीसरे दलों के रूप में मैदान पहली बार उतरी सपाक्स व आप जैसे दलों को अधिक उम्मीद नहीं है, लेकिन इन दलों के नेताओं की पूरी नजर उलटफेर पर टिकी हुई तो सपा व बसपा जैसे दलों के नेताओं ने खामोशी ओड़ रखी है। यही वजह है कि भाजपा व कांग्रेस के दावों के बीच कोई भी तीसरे मोर्चे की चर्चा तक नहीं कर रहा है। हालांकि इस बार चुनाव में
बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने न केवल अपनी ताकत दिखाई, बल्कि कई सीटों पर उनके प्रत्याशी सीधे मुकाबले में भी दिखे हैं। इन पार्टियों के अलावा सपाक्स और आम आदमी पार्टी ने भी अपनी शुरुआत की है। इनमें बसपा और सपा प्रदेश में सरकार विरोधी हवा बताते हुए अपनी सीटों की संख्या में इजाफा की उम्मीद लगाए हुए है। मतगणना में समय होने की वजह से भाजपा और कांग्रेस नेताओं के रोजाना आ रहे बयानों में उनकी सरकार साफ बनने का दावा किया जा रहा है।
बसपा को दहाई में पहुंचने की उम्मीद
बहुजन समाज पार्टी ने इस बार 227 सीटों पर चुनाव लड़ा। अनूपपुर में विलंब से निर्वाचन कार्यालय पहुंचने के कारण बसपा प्रत्याशी का नामांकन दाखिल नहीं हो सका जबकि दो प्रत्याशियों ने अपने नाम वापस ले लिए। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने राजधानी समेत आठ स्थानों पर सभाएं की। शिवपुरी में उनकी सभा की भीड़ चर्चा में रही थी। पार्टी के प्रदेश प्रभारी और उप्र के पूर्व मंत्री रामअचल राजभर कहते हैं कि ‘इस बार पाट्री की सीटें दो अंकों में पहुंचने की पूरी उम्मीद है। यह संख्या 20 भी हो तो हैरान नहीं होना चाहिए। राजभर कहते हैं कि अधिक मतदान सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी दर्शाता है। उनका दावा है किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा, बिना समर्थन के सरकार नहीं बनेगी।’
सपाक्स को 25 सीटों पर निर्णायक भूमिका में होने का भरोसा
प्रमोशन में आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट को लेकर सपाक्स समाज ने दो महीने पहले जो माहौल बनाया था उससे लग रहा था कि सवर्ण समाज 15 विधानसभा के सदस्यों को चुनने में निर्णायक भूमिका में रहेगा। लेकिन राजनीतिक दल बनते-बनते सपाक्स की आंधी ‘छू मंतर’ हो गई। सपाक्स से जुडें एक सदस्य नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि अव्वल तो राजनीतिक पार्टी का दर्जा मिलने में मशक्कत करना पड़ी। चुनाव सपाक्स का जो माहौल बनाया था अधिकारी-कर्मचारियों ने बनाया था लेकिन आचार संहिता लगने के बाद वो खुले रूप में सामने नहीं आ सकते थे। सपाक्स के राष्ट्रीय संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी मानते हैं कि सपाक्स निश्चित रूप से अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगी। वे कहते हैं- रीवा और ग्वालियर अंचल में सपाक्स पार्टी ज्यादा मजबूती से लड़ी। प्रदेश में लगभग दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर सपाक्स निर्णायक भूमिका में है।
सपा को भरोसा मिलेगी आधा दर्जन सीटें
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का लक्ष्य लेकर मप्र-छग के चुनावों से बिगुल फूंका। भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने माहौल जमाया। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से हाथ मिलाया। शुरू में सहयोग देने की बात कही, चुनाव आने तक सपा की खिचड़ी में गोंडवाना का काम नमक तक बताया। सभाएं की। घोषणा पत्र जारी किया। बालाघाट, परसवाड़ा में मुंजारे दंपति को टिकट दिया तो राजनगर में नाराज वरिष्ठ कांग्रेस सत्यव्रत चतुर्वेदी के पुत्र नितिन को अपने पाले में किया। पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. सुनीलम को भरोसा है कि 5 से 10 सीटें सपा की मानकर चलिए। कम से कम छह तो मिल ही रही हैं। सुनीलम जो सीटें गिनवाते हैं उनमें निवाड़ी, पृथ्वीपुर, पथरिया, मंडला, बैहर भी शामिल हैं।