भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। सरपंच और जनपद पंचायत
प्रतिनिधियों के चुनाव परिणामों की अधिकृत घोषणा होने के बाद अब जिला पंचायत सदस्यों की मतगणना के अधिकृत रूप से परिणाम घोषित किए जा रहे हैं। इस बीच जो रुझान सामने आए हैं, उनके बाद से भाजपा और कांग्रेस द्वारा अपने -अपने समर्थित प्रत्याशियों के जीत के दावे किए जा रहे हैं। इसकी वजह से इन सदस्यों की जीत इन दोनों दलों के जीत के दावों में उलझ गई है। पिछले चुनाव में अधिकतर जिला व जनपद पंचायतों में भाजपा अपने अध्यक्ष बनाने में सफल
रही थी।
इस बार कांग्रेस द्वारा पिछले चुनाव की तुलना में अच्छे परिणामों के दावे किए जा रहे हैं। कांग्रेस द्वारा भोपाल सहित छिंदवाड़ा, सिवनी, जबलपुर, बालाघाट, देवास जिला पंचायत में कांग्रेस समर्थित सदस्यों के चुनाव जीतने का दावा किया जा रहा है। अब तक जो रुझान सामने आ रहे हैं उसके मुताबिक इस बार 33 जिलों में जिला पंचायत के 583 वार्डों में भाजपा 268 सीटों के साथ आगे चल रही है , तो वहीं कांग्रेस 211 सदस्यों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि तीसरे स्थान पर अन्य बताए जा रहे हैं। अन्य को 104 वार्ड में जीत मिली है।
खास बात यह है की इस बार जिला पंचायत में आम आदमी पार्टी, जय आदिवासी संगठन और गोंगपा समर्थित उम्मीदवारों को भी जीत मिली है। सिंगरौली में एक वार्ड पर आप समर्थित प्रत्याशी तो छिंदवाड़ा में गोंगपा समर्थित एक, बालाघाट , शहडोल में एक और सिवनी ,मंडला में 4 और डिंडोरी में 2 प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। गौरतलब है की प्रदेश में जिला पंचायत के 875 ,जनपद पंचायत के 6771 सदस्यों के अलावा सरपंच के 22921 और पंच के 363726 पदों के लिए निर्वाचन कराया गया है। इनमें से जनपद पंचायत के 119 सदस्य व
689 सरपंच निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
अब तक जिलों की यह आ रही तस्वीर सामने
अब तक जो तस्वीर सामने आ रही है उसके मुताबिक रायसेन, विदिशा, इंदौर, खरगोन, खंडवा, धार, बुरहानपुर, अलीराजपुर, बड़वानी, ग्वालियर, गुना, अशोकनगर, दतिया, डिण्डौरी, नरसिंहपुर, कटनी, उज्जैन, नीमच, रतलाम, शाजापुर, मंदसौर, सागर, निवाड़ी, पन्ना, सतना, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा और श्योपुर में जिला पंचायत में भाजपा जीत की ओर बढ़ रही है , जबकि भोपाल, राजगढ़, झाबुआ, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, देवास, सिंगरौली, उमरिया, अनूपपुर, रीवा में कांग्रेस की जीत दिख रही है। सीहोर, शिवपुरी, मंडला, आगरमालवा, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़, सीधी, शहडोल, भिंड और मुरैना में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला बना हुआ है।
भोपाल जिला पंचायत की स्थिति
भोपाल में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर एक बार फिर कांग्रेस का कब्जा होना तय माना जा रहा है। जिले के 10 वार्ड में 7 पर कांग्रेस समर्थित सदस्यों ने तो दो भाजपा समर्थितों ने जीत दर्ज की है। एक सदस्य ने पत्ता नहीं खोला है। वार्ड 10 की रश्मि अवनीश भार्गव को कांग्रेस की ओर से अध्यक्ष पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। इसी तरह फंदा जनपद के 25 वार्ड में 13 पर भाजपा समर्थकों के और 12 पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी के जीत के दावे किए जा रहे हैं। अभी 6 सदस्यों ने पत्ते नहीं खोले हैं। बैरसिया जनपद के 25 वार्डों में से 13 पर कांग्रेस और 10 पर भाजपा के सदस्यों की तो दो निर्दलीय उम्मीदवारों को भी जीत मिली है। हालांकि पार्टी के सिंबल पर चुनाव न होने की वजह से नए जनपद सदस्यों पर कांग्रेस और बीजेपी के नेता अपना-अपना दावा ठोक रहे हैं।
इस तरह के दावे
प्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि आम मतदाता कांग्रेस के साथ है। उन्होंने दावा किया कि 80 फीसदी से अधिक पंचायतों पर कांग्रेस समर्थित सदस्य जीते हैं। इनमें भोपाल, देवास, जबलपुर, राजगढ़, बालाघाट, अनूपपुर, सिंगरौली, छतरपुर, छिंदवाड़ा, देवास, मंदसौर सहित अन्य शहर शामिल हैं। कई जिलों की जानकारी जुटाई जा रही है। उधर, भाजपा ने पंचायत चुनाव में 75 फीसदी से ज्यादा सीटों पर जीत का दावा किया है। प्रदेश भाजपा के महामंत्री भगवानदास सबनानी ने कहा कि अभी चुनाव नतीजों के पूरे डाटा नहीं आए हैं, लेकिन जो डाटा आए हैं, उसके आधार पर अधिकतर सीटों पर भाजपा का कब्जा है। हम प्रदेश में 75 फीसदी से ज्यादा सीटें जीतेंगे। अभी तक की स्थिति में भाजपा 36 में 26 सीटें जीती है।
पंच के ढाई लाख से अधिक पद रह गए रिक्त
प्रदेश में पंच के 3,63,726 पद हैं। पंच के इस बार 2.63 लाख पद खाली रह गए हैं। इन पदों पर किसी ने आवेदन ही नहीं दिया है। पिछली बार 2.51 लाख पद खाली रह गए थे। दरअसल, प्रदेश में 52 हजार गांव हैं, प्रत्येक गांव की इकाई का एक पंच होता है। पंच चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया काफी जटिल है। इसमें शपथ पत्र के साथ दो हजार रुपये का खर्च आ रहा है। साथ ही पांच सरकारी विभागों से नोड्यूज सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। इसकी वजह से लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। इसके साथ ही एक वजह यह भी है कि पंचों को गांव की सरकार में कोई तवज्जो नहीं दी जाती है। इसके साथ ही इन्हें जो मानदेय मिलता है, उसका भी भुगतान नहीं हो रहा है। इसी तरह से प्रदेश में 97 सरपंच के पद भी रिक्तम रहे गए हैं। इसकी वजह है इन पदों के लिए नामांकन पत्र ही दाखिल नहीं होना। जनपद और जिला पंचायत सदस्यों की जीत, भाजपा व कांग्रेस के दावों में उलझी