कांग्रेस विधायक दल की बैठक में…नहीं पहुंचे 40 विधायक

विधायकों और प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा पर लगाया वोट के बदले 50 लाख से 1 करोड़ देने का आरोप.

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। देश में 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद को लेकर चुनाव होंगे। इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। प्रदेश में जहां भाजपा के सारे विधायक एनडीए की राष्ट्रपति प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू को वोट देने के लिए समर्पित हैं, वहीं कांग्रेस के विधायक यूपीए उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में दो-फाड़ नजर आ रहे हैं। इसका नजारा कांग्रेस विधायक दल की बैठक में देखने को मिला, जिसमें 40 विधायक शामिल नहीं हुए। उधर कांग्रेस के दो विधायकों के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने आरोप लगाया है की एनडीए प्रत्याशी को वोट देने के लिए भाजपा 50 लाख से 1 करोड़ का आॅफर दे रही है।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच 14 जुलाई को हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में करीब 40 विधायक नहीं पहुंचे। कांग्रेस के 96 विधायकों में करीब 40 विधायक गायब मिले। कांग्रेस के 28 आदिवासी विधायकों में से सिर्फ 1 दर्जन विधायक ही पहुंचे हैं। कांग्रेस ने सभी विधायकों को बैठक में शामिल होने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके विधायक नहीं पहुंचे हैं। इन आदिवासी विधायकों में झूमा सोलंकी, हनी बघेल, नारायण पट्टा, हर्ष विजय गहलोत शामिल है। ऐसे में कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर सताने लगा है।
वोट के बदले 50 लाख देने का आरोप
राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होना है। इससे पहले प्रदेश की सियासत गर्मा गई है। कांग्रेस ने भाजपा पर चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने के लिए कांग्रेस विधायकों को प्रलोभन देने का आरोप लगाया है। राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में गुरुवार को राजधानी के एक होटल में कांग्रेस विधायक दल की बैठक आयोजित की गई। बैठक में विपक्षी दलों के राष्ट्रपति प्रत्याशी यशवंत सिन्हा भी शामिल हुए। बैठक में कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार ने कहा कि उन्हें भाजपा की प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के लिए 50 लाख रुपए की पेशकश की गई है। धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक पांचीलाल मेड़ा ने भी कहा कि उन्हें मंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया है। यशवंत सिन्हा ने इसे दुखी करने वाली घटना बताते हुए कहा कि जब भाजपा मुझे हारा हुआ प्रत्याशी बता चुकी है, तो फिर इस तरह के हथकंडे क्यों अपनाए जा रहे हैं। रिटर्निंग ऑफिसर और भारत निर्वाचन आयोग को इसकी जांच करना चाहिए। उन्होंने प्रजातंत्र की रक्षा के लिए सभी विपक्षी दलों से आगे आने की अपील की। उधर मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि आरोप पूरी तरह झूठा है, उनकी किसी कांग्रेस नेता से बात नहीं हुई है। विधायक पांचीलाल मेढ़ा ने कहा कि बुधवार को नारायणपुर में एक कार्यक्रम में था। इसी दौरान किसी ने मेरे मोबाइल पर कॉल कर एनडीए की राष्ट्रपति प्रत्याशी के आदिवासी समुदाय से होने के नाम पर उन्हें वोट करने को कहा गया। साथ ही मुझे मंत्री पद का प्रस्ताव दिया गया। गुरुवार को भोपाल में मुलाकात करने की बात कही गई। मैंने इसकी जानकारी पीसीसी चीफ को दे दी है।
आज पहले वाली भाजपा नहीं: यशवंत सिन्हा
विधायक दल की बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में यशवंत सिन्हा ने कहा कि आज मुझे आज बेहद अफसोस है, मैं बहुत दुखी हूं। विधायक ने बैठक में कहा कि उनको फोन आ रहे हैं, उन्हें पैसे ऑफर किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इतने पैसे ले लो और वोट फलाने कैंडिडेट को दे दो। हम जानते हैं कि आज की भाजपा अटल बिहारी वाजपेयी वाला भाजपा नहीं है, लोकसभा में एक वोट से सरकार गिर गई थी। आज की भाजपा में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भाजपा शुरू से कह रही है कि यशवंत सिन्हा हारे हुए उम्मीदवार हैं, फिर आपको चिंता किस बात की है, क्यों आप मप्र के आदिवासी विधायकों पर नजर रखे हुए हैं। आप क्रॉस वोटिंग कराने की बात क्यों कह रहे हैं। ये सिर्फ राष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो रहा है, बल्कि भारत के भविष्य का चुनाव हो रहा है। वे चाहते हैं कि यह यह व्यवस्था देश में चले। विधायकों की खरीद-फरोख्त हो, चुनी हुई सरकारों को गिराया जाए। चुनाव जीतने के लिए किसी भी छल-कपट का प्रयोग करो। धनबल का प्रयोग करो। सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करो, बस सत्ता हमारे कब्जे में हो। आज हमारी लड़ाई इन्हीं सब चीजी के खिलाफ है।
पार्टी या समाज, संकट में आदिवासी विधायक
कांग्रेस के आदिवासी विधायकों के सामने सबसे बड़ी मुसीबत ये है कि आखिर वो वोट किसे करे। पार्टी के खिलाफ जाते है, तो बागी के साथ अगली बार टिकट पर संकट आ जाएगा। अगर द्रौपदी मुर्मू के साथ नहीं देते है, तो आदिवासी समाज की नाराजगी कहीं भारी न पड़ा जाए। क्योंकि भाजपा के कई नेता खुलकर कांग्रेस के आदिवासी विधायकों को ये कह चुके हैं। अंतआत्मा की सुने और द्रौपदी मुर्मू को वोट करें। पीसीसी के निर्देश के बाद भी कांग्रेस विधायक बैठक में नहीं पहुंचे। बैठक में नहीं पहुंचने को लेकर जब नेताओं द्वारा फोन लगाकर पूछा गया तो कई विधायकों ने कहा कि वो जरूरी काम से बाहर आए हैं। कई ने पारिवारिक कारण बताएं। अधिकतर जो विधायक बैठक में नहीं आए उन्होंने अपने इलाके में चुनाव के परिणाम आने के कारण बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर असमर्थता जताई। लेकिन सवाल ये है कि परिणाम पहले से तय थे कि इसी दिन आना है, तो फिर कांग्रेस की तरफ से विधायकों को बैठक में शामिल होने के निर्देश क्यों जारी किए गए थे। इसी के चलते सवाल उठ रहा है क्या कांग्रेस के आदिवासी विधायक क्रॉस वोट कर सकते हैं।