प्रदेश के कर्मचारियों को सुप्रीम फैसले का इंतजार…

बगैर पदोन्नति के हो चुके 32 हजार कर्मचारी सेवानिवृत्त

भोपाल/मंगल भारत।
सालों से सरकारी उपेक्षा के चलते पदोन्नति का इंतजार कर रहे प्रदेश के कर्मचारियों की नजरें अब अगले माह संभावित सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लगी हुई हैं। माना जा रहा है की इस मामले में 17 अगस्त को फैसला आ सकता है। दरअसल पदोन्नति में आरक्षण के मामले की सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई चल रही है। यह सुनवाई राज्यवार चल रही थी। दरअसल प्रदेश में छह साल से पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद पड़ी है। पदोन्नति में आरक्षण मामले का फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गत 28 जनवरी को मुद्दे तय किए थे। इन्हीं मुद्दों को आधार बनाकर केंद्र और राज्यों की सरकार पदोन्नति को लेकर निर्णय लेना था। लेकिन पदोन्नति के संबंध में सरकार कोई निर्णय नहीं ले रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 24 फरवरी से राज्यवार सुनवाई शुरू की है। इसमें पहले केंद्र सरकार के मामलों के बाद अब राज्यों की सुनवाई शुरू की गई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मप्र के संबंध में मांगे गए डाटा को सरकार ने जमा करा दिया है। जिसके विश्लेषण के बाद प्रदेश के संदर्भ में फैसला आएगा। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में तारीख भी लग चुकी है। बताया जाता है कि संभवत 17 अगस्त को मप्र के संदर्भ में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।
सरकार अपना रही दोहरे मापदंड
प्रदेश के कर्मचारियों द्वारा पदोन्नति को लेकर सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाए जा रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि जब राज्य वन सेवा के अधिकारियों को भारतीय वन सेवा में पदोन्नत किया जा सकता है, डाक्टरों को पदोन्नति दी जा सकती है, तो हमें क्यों नहीं ? स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में 451 डाक्टरों को द्वितीय से प्रथम श्रेणी में पदोन्नत किया है। इससे पहले सरकार राज्य वन सेवा, जल संसाधन विभाग में अभियंता, पशुपालन विभाग में डाक्टरों को पदोन्नति दे चुकी है। इसके अलावा पुलिस विभाग में मैदानी कर्मचारियों को वरिष्ठ पद का प्रभार दिया गया है। सिर्फ कर्मचारियों की पदोन्नति को रोके रखा है। मप्र अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संयोजक एसबी सिंह का कहना है कि पदोन्नति के संबंध में सरकार का रवैया भेदभावपूर्ण है। सरकार को समान नियम बनाकर पदोन्नति करनी चाहिए। अब सुप्रीम फैसले की तारीख हो गई है, तो इसकी सबसे ज्यादा खुशी कर्मचारियों को होगी।