कारम बांध… टूटने के लिए जिम्मेदार कौन? जांच में जुटी कमेटी

एक वैज्ञानिक सहित तीन अफसरों की कमेटी ने किया मौका मुआयना.

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। कारम नदी पर बने 304 करोड़ के बांध के क्षतिग्रस्त होने की जांच के लिए शासन ने एक कमेटी का गठन किया है, जिसमें तीन अफसरों के साथ एक वैज्ञानिक को भी शामिल किया है और पांच दिन में जांच प्रतिवेदन मांगा है।
इस बांध में हुए भ्रष्टाचार को लेकर भोपाल से दिल्ली तक हल्ला मचा है, क्योंकि पीएमओ कार्यालय से भी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही थी। चार साल पहले जो 3 हजार करोड़ का ई-टेंडर घोटाला उजागर हुआ था उसमें कारम बांध का ठेका भी शामिल रहा और विधानसभा में ही विभागीय मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि बांध के संबंध में ईओडब्ल्यू भोपाल ने प्रकरण दर्ज किया है। हालांकि बाद में ई-टेंडर घोटाला भी फाइलों में दफन हो गया और कारम बांध निर्माणाधीन होने के साथ अभी बारिश में भर गया, जिसके फूटने की नौबत आ गई। अब शासन के निर्देश पर जल संसाधन विभाग के अवर सचिव संजीव गुप्ता ने चार अधिकारियों की जांच टीम बनाई है जिसके अध्यक्ष अपर सचिव आशीष कुमार, वैज्ञानिक डॉ. राहुल जायसवाल, मुख्य अभियंता दीपक सातपुते और बांध सुरक्षा संचालक अनिल सिंह को शामिल किया गया।
यह कमेटी इस जांच में जुट कई है कि कारम बांध टूटने के लिए जिम्मेदार कौन है? कारम बांध का निर्माण इसलिए किया गया ताकि आसपास के 42 गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सके। लेकिन बांध भ्रष्टाचार और अनदेखी का शिकार हो गया। अब इस बांध के लीकेज होने की जांच शुरू हो गई है। यह टीम अपनी रिपोर्ट में यह भी बताएगी कि बांध के क्षतिग्रस्त होने के कारण क्या थे? भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं का दोहराव न हो, इसके भी सुझाव देगी। दल पांच दिन में अपनी रिपोर्ट देगा, लेकिन इससे पहले की पड़ताल में सामने आया कि मंत्री, अपर मुख्य सचिव और ईएनसी से लेकर ईई व इनकी टीम तक सभी के पास बांध के संबंध में कोई न कोई जिम्मा था। जांच दल यह देखेगा कि गलती किसके स्तर पर हुई यानी दल की जांच के दायरे में मंत्री भी रहेंगे।
सही आंकलन नहीं कर पाने से आई समस्या
डैम के निर्माण कार्य का निरीक्षण करने के बाद शिवराज सरकार में मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव ने मीडिया को बताया कि डैम पूरा नहीं बना था काम अभी भी चल रहा था, लेकिन प्रारंभिक जांच में ठेकेदार को जिस समय सीमा में काम करना था, वो उस समय सीमा में काम नहीं कर पाया। विभाग के इंजीनियरों ने कांट्रेक्टर को कई बार निर्देश दिया कि मानसून आ रहा है, रिसोर्सेस मोबिलाइज कीजिए काम की गति तेज कीजिए, लेकिन कंपनी उसे कैलकुलेट नहीं कर पाई। इसके चलते उससे गलती हुई उसे अगस्त में काम पूरा करना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
किसी ने नहीं निभाया अपना दायित्व
प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि इस बांध के लिए जिसको जो जिम्मेदारी दी गई थी, उसने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। टेकेदार कंपनी एएनएस कंस्ट्रक्शन और उसकी सबलेटिंग फर्म सारथी कंस्ट्रक्शन का जिम्मा गुणवत्ता से लेकर समय पर बांध के निर्माण का था। कार्यपालन यंत्री (ईई) बांध के कामकाज के इंचार्ज हैं। इनके अंडर में एसडीओ और सब इंजीनियर होते हैं, जो रोजाना की प्रक्रिया में बांध से जुड़े रहे। अधीक्षण अभियंता का काम सुपरविजन का होता है। कहां गलती हो रही है, तुरंत बताना होता है। मुख्य अभियंता (सीई) के पास प्रोजेक्ट का कंट्रोल इनके पास होता है। एक-दो दिन में गुणवत्ता से लेकर कामकाज की रिपोर्ट इन्हें ली लेनी होती है। प्रमुख अभियंता (ईएनसी)भोपाल में बैठते हैं, लेकिन हर माह प्रोजेक्ट के संबंध में सीई, एसई और ईई से संपर्क रखने का काम इनका है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में समस्या पूछना और गाइड करने का काम होता है। ईएनसी एमएस डावर का कहना है कि उन्होंने समय समय पर सुझाव दिए हैं। वहीं जल संसाधन मंत्री पर हर दो माह में रिव्यू करने के साथ निर्माण स्थल का दौरा करने का दायित्व है। गुणवत्ता की निगरानी रखना, विशेषज्ञों से बात करते रहना उनका काम है, लेकिन किसी ने अपना काम ईमानदारी से नहीं किया।
प्रोजक्ट शुरू से विवादों में
यह प्रोजेक्ट शुरूआत में ही विवादों से घिर गया था। इसके टेंडर में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। दरअसल, मप्र में ई-टेंडर घोटाला विधानसभा चुनाव से पहले अप्रैल 2018 में उस समय सामने आया था, जब जल निगम की तीन निविदाओं की खोलते जिन कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया समय कम्प्यूटर ने एक संदेश डिस्प्ले किया। इससे पता चला कि निविदाओं में टेम्परिंग की जा रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर इसकी जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई थी। कोठीदा में कारम मध्यम सिंचाई परियोजना को लेकर ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि अधिकारियों ने गलत सर्वे किया था तब किसानों को सिंचाई की सुविधा का आश्वासन देकर निर्माण कार्य शुरू किया गया था। कहा गया था कि कोठीदा बांध बनने से गुजरी धामनोद सहित जिले के धरमपुरी, मनावर और खरगोन जिले की महेश्वर तहसील के 42 गांवों में 10500 हेक्टेयर क्षेत्र में दाब युक्त सूक्ष्म प्रणाली से सिंचाई होगी। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि लगभग 3 हजार करोड़ के ई टेंडरिंग घोटाले में साक्ष्यों एवं तकनीकी जांच में पाया गया था कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मप्र जल निगम मर्यादित के 3 टैंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मप्र सड़क विकास निगम का 1, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का 1 कुल 9 निविदाओं के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की गई। जल संसाधन विभाग की मोहनपुरा और कारम सिंचाई परियोजना इसमें शामिल हैं।
आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरू
क्षतिग्रस्त बांध को देखने और प्रभावितों का हाल जानने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोले। नाथ ने कहा कि यह डैम भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की निशानी है। यह शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार का बांध फूटा है। मैंने आज देखा कि किस प्रकार से यह बांध मिट्टी से बना हुआ था। इस बांध के कारण कई बेकसूर लोगों को प्रभावित होना पड़ा है। कई प्रभावित लोगों की जीवन रेखा इससे समाप्त हो चुकी है। कमलनाथ ने बताया कि उन्होंने अपनी सरकार में ई-टेंडर को लेकर कार्यवाही शुरू की थी, कार्यवाही चल रही थी कि हमारी सरकार गिरा दी गई। आज मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की बाढ़ आई हुई है। इससे हर वर्ग प्रभावित है। आज हर ठेके में भ्रष्टाचार है, जब तक भ्रष्टाचार ना हो, सौदा पूरा नहीं होता है। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि बांध में लीकेज क्यों हुआ है, इसका पता लगाने के लिए सरकार ने चार सदस्यीय कमेटी बनाई है। जो भी दोषी होगा, कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कमलनाथ बांध दौरे के नाम पर्यटन करने में लगे हैं। वहीं गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि कमलनाथ हवाई नेता हैं।