जामवाल प्रदेश में कैंप कर करेंगे स्कैनिंग करने का काम.
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। बीते चुनाव में मामूली अंतर से सरकार बनाने में असफल रही भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व इस बार मिशन 2023 में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है। यही वजह है कि अब प्रदेश में संगठन की कमान सम्हाल रहे वीडी शर्मा व प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की मदद के लिए कई केन्द्रीय नेताओं की तैनाती की जा चुकी है। इनकी मदद से ही प्रदेश में अभी से चुनावी रणनीति बनकार मैदानी जमावट की जा रही है। इसी वजह से चुनावी प्रबंधन के क्षेत्र में कई तरह के बदलाव सामने आने अभी से शुरू हो गए हैं।
यही नहीं पार्टी हाईकमान समझ रहा है कि प्रदेश में बीते दो दशक से पार्टी की सरकार होने की वजह से इस बार चुनाव में एंटी इंकम्बेंसी का असर भी हो सकता है, लिहाजा इसे बेअसर करने के लिए इस बार चुनावी मोर्चा पर केंद्रीय नेतृत्व को ही सामने रखने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसकी शुरूआत के तौर पर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, शिवप्रकाश और अजय जामवाल के द्वारा किए जा रहे प्रवासों को देखा जा रहा है।
भाजपा कोर कमेटी की हाल ही में हुई बैठक में पेंडिंग निर्णय निपटाने के साथ ही केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं की आक्रामक ब्रांडिंग और बूथ स्तर पर संवाद संपर्क मुहिम शुरू करने के निर्णय हुए थे। इन मामलों पर भी तेजी से काम किया जा रहा है। दरअसल हाल ही में हुए नगरीय निकाय चुनाव में जिस तरह से प्रदेश में सरकार होने के बाद भी सोलह में से सात बड़े शहरों में महापौर पद के पार्टी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा है , उसके बाद से ही पार्टी में रणनीतिक रुप से चुनावी तैयारियों में बदलाव किया जा रहा है।
यह वे शहर हैं,जिन्हें पार्टी के मजबूत गढ़ के रुप में माना जाता है। इनमें से कई शहर तो ऐसे हैं , जिनमें कई दशकों बाद पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी के तमाम केन्द्रीय पदाधिकारी मप्र के हर इलाके की नब्ज टटोलने के लिए दूर दराज तक के इलाकों के दौरे कर रहे हैं। दरअसल जामवाल को संगठन को मजबूत कर पार्टी का गुपचुप जनाधार बढ़ाने वाला नेता माना जाता है। वे इसके पहले भाजपा के लिए बेहद कठिन माने जाने वाले पूर्वोत्तर में भी कमल खिलाकर इतिहास रच चुके हैं। उनकी असम, अरुणाचल, मिजोरम और अब त्रिपुरा व नागालैंड में भी भगवा लहराने में प्रमुख भूमिका मानी जाती है। यही वजह है कि उन्हें इसी साल अगस्त माह में पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण मप्र व छत्तीसगढ़ का संगठन का प्रभार सौंपा गया था। वे जल्द ही प्रदेश में दस दिनों के प्रवास पर आने वाले हैं। माना जा रहा है कि इस दौरान वे पूरी तरह से सत्ता व संगठन की स्केनिंग का तो काम करेंगे ही है साथ ही आम जनमानस का मूड भी भांपने का काम करेंगे।
जामवाल के जारी है दौरे
हाल ही में भाजपा कोर कमेटी व रातापानी चिंतन बैठक में पार्टी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष के अलावा सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल के दौरे भी हो चुके हैं। शिव प्रकाश और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव सहित जामवाल अपने प्रवास के दौरान आदिवासी बहुल जिलों में मंडल स्तर तक पहुंचकर मैदानी कार्यकर्ताओं का फीडबैक ले चुके हैं। जामवाल की नियुक्ति के बाद उनकी मप्र के विभिन्न जिलों में तीन यात्राएं हो चुकी हैं। इन यात्राओं में उनके द्वारा न केवल कार्यकर्ताओं से भेंट कर पार्टी की उनके क्षेत्र की स्थिति को लेकर बात की जाती है , बल्कि आसपस के इलाकों की भी जानकारी लेने का काम किया जाता है।
नहीं बदला ढर्रा
दरअसल प्रदेश में इस बार भी सरकार के कामकाज का ढर्रा नहीं बदल सका है। इसकी वजह से मैदानी स्तर पर पार्टी के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को अब तक सत्ता में भागीदारी नही मिल सकी है। इसकी वजह से उनमें नाराजगी तो बनी ही हुई है, साथ ही प्रभारी मंत्रियों से लेकर अफसरों द्वारा भी कार्यकर्ताओं को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है। यही वजह है कि भाजपा के केंद्रीय पदाधिकारियों का पूरा फोकस मैदानी कार्यकर्ताओं पर बना हुआ है।