सरकार ने मास्साब को लगाया बीएलओ के कार्य.
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में सरकार सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के बेहतर बनाने के अभियान में जुटी हुई है। लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण प्रदेश के स्कूल भगवान भरोसे चल रहे हैं। उस पर भी आलम यह है कि सरकार ने शिक्षकों को बीएलओ के काम में लगा दिया है। इस कारण अधिकांश स्कूलों में एक शिक्षक के भरोसे पांच – पांच कक्षाएं चल रही हैं। ऐसे में प्रदेश की शिक्षा किस प्रकार गुणकारी बन पाएगी, यह सवाल बना हुआ है। राजधानी में करीब साढ़े पांच हजार शिक्षक स्कूलों में पदस्थ है। इसमें 700 से ज्यादा शिक्षकों को बीएलओ के काम में लगा दिया गया है। इसके अलावा कुछ शिक्षक छुट्टी पर रहते है, जबकि महिला शिक्षक मातृत्व अवकाश भी लेती है। इससे स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी रहती है। गौरतलब है कि प्रदेश में स्कूलों का शैक्षणिक सत्र शुरू हुए करीब तीन महीने के समय बीत चुका है। लेकिन स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई को प्रशासनिक अधिकारियों ने प्रभावित कर रखा है। राजधानी में ही 700 से अधिक शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ में लगा दी गई है। इससे राजधानी के ही कई स्कूल एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है। यहीं हाल पूरे प्रदेश में बीएलओ कार्य में लगे शिक्षकों की ड्यूटी का है। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार निर्देश दे चुके है कि शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखा जाए। बावजूद उसके अधिकारियों ने शैक्षणिक अमले को बीएलओ की ड्यूटी में झोंक दिया है। जिससे राजधानी के ही स्कूल खाली हो गए है। स्कूलों में शिक्षकों के न होने से पढ़ाई पूरी तरह ठप पड़ी हुई है।
राजधानी के स्कूलों का हाल
शासकीय प्राथमिक शाला लालू टपरा में दो शिक्षक कार्यरत है। एक की ड्यूटी बीएलओ में लगी है। एक शिक्षक का समय बच्चों को संभालने में ही निकल जाता है। वहीं शासकीय माध्यमिक शाला ब्रिजिसिया के स्कूल में कुल 12 शिक्षक है। जिसमें छह की ड्यूटी बीएलओ में लगाई गई है। सिर्फ छह शिक्षक स्कूल में अध्ययन करा रहे है। शासकीय प्राथमिक शाला अमरावत खुर्द के स्कूल में कुल चार शिक्षक है। जिसमें तीन की ड्यूटी बीएलओ में लगा दी गई है। अब यह स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे है। ऐसी ही स्थिति प्रदेशभर के अन्य स्कूलों की भी है। लोक शिक्षण आयुक्त ने पूर्व में निर्देश जारी सभी कलेक्टरों, संभागीय संयुक्त संचालकों व डीईओ को पत्र लिखा था कि प्रदेश के स्कूलों में गणित, विज्ञान व अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी है। ऐसे में इन विषयों के शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ कार्य में नहीं लगाई जाए। इन शिक्षकों को बीएलओ की ड्यूटी से मुक्त रखा जाए। लेकिन राजधानी में ही कई स्कूलों से विज्ञान, गणित व अंग्रेजी के शिक्षकों की ड्यूटी बीएलओ में लगाई गई है। जिससे शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहा है। जबकि प्रदेश में दसवीं-बारहवीं के विद्यार्थियों का रिजल्ट भी इन्हीं तीन विषयों के कारण बिगड़ता है।
स्कूल के समय में बीएलओ का कार्य
शिक्षकों को निर्देश है कि बीएलओ कार्य स्कूलों में पढ़ाने के बाद किया जाए। लेकिन यह कार्य शिक्षक स्कूल समय में ही करते है। इसके पीछे कारण यह भी है कि स्कूलों का समय सुबह साढ़े 10 से शाम साढ़े बजे तक का है। ऐसे में सुबह साढ़े दस के पहले व शाम को बीएलओ का कार्य शिक्षक नहीं कर पाते है। इससे बीएलओ का कार्य स्कूल समय में ही करने की वजह से शिक्षक पढ़ा नहीं पाते है। स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि बीएलओ का कार्य स्कूल समय के अतिरिक्त करना है। स्कूल समय में बीएलओ का कार्य करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। विद्यार्थियों की पढ़ाई से कोई समझौता नहीं करेंगे।