भारतीय ओलंपिक संघ की निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गईं पीटी ऊषा, हासिल की खास उपलब्धि

भारतीय ओलंपिक संघ की निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गईं पीटी ऊषा, हासिल की खास उपलब्धि.

महान एथलीट पीटी ऊषा भारतीय ओलंपिक संघ की निर्विरोध अध्यक्ष बनीं हैं। उनका अध्यक्ष बनना लगभग तय था, क्योंकि 10 दिसंबर को होने वाले चुनावों में शीर्ष पद के लिए वह एकमात्र उम्मीदवार थीं। वह आइओए की पहली महिला अध्यक्ष होंगी। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पीटी ऊषा को भारतीय ओलंपिक संघ का निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, महान गोल्डन गर्ल पीटी ऊषा को भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने पर बधाई। मैं अपने देश के सभी खेल नायकों को प्रतिष्ठित कडअ के पदाधिकारी बनने पर बधाई देता हूं! देश को उन पर गर्व है!’ कई एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता 58 साल की ऊषा 1984 के ओलंपिक 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में चौथे स्थान पर रहीं थी। उन्होंने रविवार को शीर्ष पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। उनके साथ उनकी टीम के 14 अन्य लोगों ने विभिन्न पदों के लिए नामांकन पत्र दाखिल किए।

अब मदरसों में भी 8वीं कक्षा तक नहीं मिलेगी छात्रवृत्ति, केंद्र सरकार ने जारी किया आदेश
उत्तर प्रदेश के मदरसों में कक्षा एक से आठ तक में पढ़ने वाले छात्रों को शैक्षिक सत्र 2022-23 से छात्रवृत्ति नहीं दी जाएगी। केंद्र सरकार की ओर से इस बारे में निर्देश जारी कर दिये गए हैं। पिछले वर्ष मदरसों में पढ़ने वाले आठवीं कक्षा तक के लगभग छह लाख छात्रों को छात्रवृत्ति मिली थी। कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों को एक वर्ष में एक हजार रुपये दिए जाते हैं, जबकि छठवीं से आठवीं तक के लिए छात्रवृत्ति की राशि अलग-अलग है। केंद्र सरकार ने कहा है कि निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई मुफ्त कर दी गई है। इसलिए आठवीं कक्षा तक के बच्चों को छात्रवृत्ति देने का औचित्य नहीं है। अब प्री-मैट्रिक स्कालरशिप सिर्फ कक्षा नौ और 10 के पात्र विद्यार्थियों को मिलेगी। गौरतलब है कि मदरसों में कक्षा एक से आठ तक के छात्रों को बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों की तरह दोपहर का भोजन, यूनिफार्म, किताबें मुफ्त दी जाती हैं। पहले परिषदीय विद्यालयों के आठवीं कक्षा तक के छात्रों को भी छात्रवृत्ति मिलती थी लेकिन शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आठवीं तक की शिक्षा निश्शुल्क किये जाने के बाद इसे कुछ वर्ष पूर्व बंद कर दिया गया था।
ओला-उबर को अब हर सवारी पर देना होगा 5% सुविधा शुल्क, बढ़ेगा किराया!
कर्नाटक सरकार का एक फैसला ओला-उबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स से जुड़े ऑटोरिक्शा ड्राइवर्स के गले की फांस बन गया है। सरकार ने 25 दिसंबर को क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरणों को ऐप आधारित आॅटो एग्रीगेटर्स से हर राइड के लिए पांच फीसदी सुविधा शुल्क और जीएसटी वसूलने का आदेश दिया था। ऑटो ड्राइवरों का कहना है कि इससे ऑटो रिक्शा चालकों और यात्रियों को नुकसान हो सकता है। ओला उबर ड्राइवर्स एंड ओनर्स एसोसिएशन ने सरकार पर हाईकोर्ट के समक्ष मामला ठीक से न रखने का आरोप लगाया है। ऑटो ड्राइवरों का कहना है कि निर्धारित किराया बहुत ज्यादा नहीं लगता है, लेकिन यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि ये कंपनियां लोगों से सुविधा शुल्क कैसे वसूलेंगी। उनका कहना है कि ओला-उबर कंपनियां बहुत ज्यादा शुल्क ले रही थीं, जिसके कारण सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। हम नहीं जानते कि नए आदेश का पालन कैसे करेंगे। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूडीओए के प्रमुख तनवीर पाशा ने कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष मामले को ठीक से पेश नहीं करने के लिए कर्नाट सरकार को दोषी ठहराया।

चीन में उठ रही राष्ट्रपति शी शी जिनपिंग को पद से हटाने की मांग, शहरों में हो रहे विरोध प्रदर्शन
चीन में राष्ट्रपति शी शी जिनपिंग की जीरो कोविड नीति और तिब्बत विरोधी नीतियों को लेकर कई बार देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। हाल ही में शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी में आधी रात को जो प्रदर्शन हुआ उसकी भी वजह यही दोनों मुद्दे थे। तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रपति शी के खिलाफ होने वाले ये विरोध प्रदर्शन इस बात का भी सबूत हैं कि तिब्बत में चीन से अलग होकर अपनी पहचान बनाने की चिंगारी अब भी सुलग रही है। शनिवार रात को शिनजियांग में राष्ट्रपति शी का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों ने जो बैनर और पोस्टर लिए हुए थे उन पर शी को राष्ट्रपति पद से हटने और जीरो कोविड नीति के चलते लगे लॉकडाउन को समाप्त करने के स्लोगन लिखे थे। तिब्बत में जहां लोग चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की नीति से दुखी होकर सड़कों पर हैं वहीं चीन के दूसरे शहरों में ये विरोध प्रदर्शन काफी हद तक जीरो कोविड नीति के ही खिलाफ है। बता दें कि चीन के कई शहरों में लाकडाउन लगे होने से काम धंधों पर बुरा असर पड़ रहा है।