किसान कर्ज माफी पर भाजपा व कांग्रेस फिर आमने-सामने

फिर शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का दौर.

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश में एक बार फिर से किसान कर्ज माफी के मामले में भाजपा व कांग्रेस आमने -सामने आ गए हैं। इसकी वजह है हाल ही में भारत जोड़ो यात्रा के समय राहुल गांधी द्वारा फिर से किसान कर्ज माफी का वादा करना और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा इस मामले को जोर -शोर से उठाया जाना। दरअसल बीते विधानसभा चुनाव के ठीक पहले जिस तरह से मंदसौर में कांग्रेस की सरकार बनने पर दस दिनों में किसानों के कर्ज माफी की घोषणा की गई थी, उससे प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की डेढ़ दशक बाद वापसी हो गई थी। इसी वजह से कांग्रेस एक बार फिर इस मामले को चुनावी बैतरणी पार करने की पतवार के रूप में उपयोग करने जा रही है तो वहीं भाजपा भी इस मामले में बेहद मुखर हो गई है।
भाजपा का आरोप है कि दस दिनों में अगर किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री बदल दूंगा की राहुल गांधी की घोषणा पर अमल ही नहीं किया गया है। दरअसल प्रदेश में किसानों की संख्या और उनके मतों की ताकत को देखते हुए दोनों ही दलों का फोकस किसानों पर बना हुआ है। प्रदेश में समय -समय पर किसान कर्ज माफी का जिन्न बाहर निकलता रहता है। अब इस जिन्न को बाहर निकालने का काम कांग्रेस द्वारा किया गया है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कर्जमाफी का दांव खेला है। उन्होंने कहा, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर किसान कर्जमाफी होगी। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तंज कसते हुए कहा, काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती। कांग्रेस ने 10 दिन में कर्जमाफी का वादा किया था, लेकिन डेढ़ साल तक माफ नहीं कर पाए। असल में मुख्यमंत्री ने कह चुके हैं कि डिफाल्टर हुए किसानों का ब्याज राज्य सरकार भरेगी। इस पर कमलनाथ ने ट्वीट किया था कि शिवराज सरकार द्वारा बंद की गई किसान कर्जमाफी योजना प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही फिर शुरू की जाएगी। मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि शिवराज किसान हित के नाम पर रोज कोई न कोई पब्लिसिटी स्टंट करते रहते हैं। अब उन्होंने किसान गौरव सम्मेलन करने का अभिनय किया है। कमलनाथ के ट्वीट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी पलटवार करते हुए कहा कि उनके (कमलनाथ) ट्विटर की झूठी चिड़िय़ा आज फिर उड़ गई। राहुल गांधी ने कहा था कि 10 दिन में कर्ज माफ कर देंगे। सवा साल बाद भी नहीं कर पाए। काठ की हांडी बार- बार नहीं चढ़ती। सवा साल में नहीं पूरा कर पाए तो अब क्या करेंगे। सीएम ने देर शाम कहा कि इधर- उधर की बात न कर, तू यह बता 10 दिन में कर्जा माफ क्यों नहीं हुआ।
किसान कर्ज माफी फिर बनेगा मुद्दा
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसान कर्जमाफी की घोषणा की थी। जबकि कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनाव में भी इसी रणनीति के तहत उतरने की तैयारी में हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव से ठीक 3 माह पहले वचन पत्र जारी करेगी और वचन पत्र में कर्ज माफी का वचन सबसे पहले रखेगी। कांग्रेस को भरोसा है कि 2018 की तरह 2023 में अभी कर्ज माफी काम कर जाएगी। इसके अलावा किसानों की मेहनत पर मध्य प्रदेश को लगातार मिल रहा कृषि कर्मण अवार्ड, प्रदेश की अर्थव्यवस्था में हुई बढ़ोतरी का मुद्दा भी चुनाव में होगा।
2018 में खूब हुई थी सियासत: दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले मंदसौर किसान आंदोलन का मुद्दा और फिर चुनाव में किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर खूब सियासत हुई थी। यही वजह है कि इस बार भी इस मामले को देखते हुए भाजपा भी बहुत पहले ही सचेत हो गई थी। इसकी वजह से ही प्रदेश कि शिवराज सरकार द्वारा डिफाल्टर हो चुके किसानों का ब्याज भरने की घोषणा पहले ही कर दी है। यह वे किसान है जो कांग्रेस की सरकार में कर्ज माफ न हो पाने की वजह से डिफाल्टर की श्रेणी में चले गए थे। जिसकी वजह से न तो उन्हें सोसायटियों से खाद बीज मिल पा रहा था और न ही अन्य तरह की क्रेडिट मिल पा रही थी। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि सीएम शिवराज ने ऐलान किया कि डिफाल्टर किसानों का ब्याज सरकार भरेगी, लेकिन कांग्रेस की सरकार ने किसानों का कर्ज भी माफ किया था। हमने प्रदेश के 27 लाख किसानों का हमने कर्जमाफी के पहले चरण में कर्ज माफ किया था। कर्ज माफी का दूसरा चरण भी प्रारंभ हो गया था, लेकिन हमारी सरकार सौदेबाजी से बीच में ही गिरा दी गई थी। हमारा संकल्प था कि प्रदेश का किसान कर्ज मुक्त हो। बेहतर हो यदि सरकार को किसानों को राहत ही देना है तो उनके कर्ज के ब्याज की बजाय उनका पूरा कर्ज ही सरकार माफ करें।