भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त रहे कांग्रेसी
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इसके तहत कांग्रेस शीतकालीन सत्र में प्रदेश सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली थी। लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त होने के कारण कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव तैयार नहीं कर पाई। इसलिए अब 19 दिसंबर से होने वाले शीतकालीन सत्र में कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला पाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब बजट सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दों को लेकर रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह और पूर्व विधायक पारस सकलेचा को सौंपी हैं। दोनों ने प्रारंभिक रूपरेखा भी तैयार कर ली है। लेकिन इसी दौरान 23 नवंबर से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मप्र में शुरू हो गई। इस कारण कांग्रेस के सभी विधायक, पदाधिकारी और नेता इस यात्रा में व्यस्त रहे। जिसके कारण अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दों की रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई। इसके चलते शिवराज सरकार को घेरने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही कांग्रेस सफल नहीं हो पाई। अब यह 19 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत नहीं होगा। यही कारण है कि अब इसे अगले साल फरवरी-मार्च में होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
सरकार नहीं चाहती अविश्वास प्रस्ताव पेश हो
कांग्रेस ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार को घेरने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की थी। इसकी तैयारियों के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पहले पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और फिर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को जिम्मेदारी सौंपी थी। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि हमने पहले ही अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद भी शीतकालीन सत्र पांच दिन का बुलाया गया है। सरकार चाहती ही नहीं है कि उसकी असफलताओं पर चर्चा हो। विधायकों के साथ बैठक करके रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। डॉ. सिंह ने पूर्व विधायक पारस सकलेचा को सहयोगी बनाया और विभिन्न विभागों से जुड़े 180 बिंदु छांटे गए। विधायकों से भी इसके लिए तथ्य मांगे गए थे लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त होने के कारण न तो बैठक हो पाई और न ही विधायकों ने प्रमाणिक तथ्य उपलब्ध कराए। कमलनाथ के साथ इसको लेकर बैठक भी अभी नहीं हुई है।
मुद्दों की भरमार
उधर, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि सरकार मोर्चे पर असफल रही है। इसके विरुद्ध एक नहीं अनेक मामले हैं। निर्माण कार्यों में अनियमितता से लेकर कर्मचारियों के साथ अन्याय हो रहा है। अन्य पिछड़ा वर्ग को अभी तक 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं मिला है तो अनुसूचित जाति-जनजाति के व्यक्तियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं। प्रदेश में कानून व्यवस्था लचर है। ई-टेंडरिंग मामला हो या फिर पूरक पोषण आहार की गड़बड़ी सबके सामने है। सरकार सदन में जवाब देने से बचना चाहती है, इसलिए सत्र की अवधि लगातार कम करती जा रही है। जितनी अवधि के लिए सत्र बुलाया जाता है, उतना भी नहीं चल रहा है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए समय चाहिए।
सौ बिंदुओं पर सरकार से मांगा जाएगा उत्तर: पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने बताया कि करीब सौ बिंदु छांटे गए हैं, जिन पर अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सरकार से उत्तर मांगा जाएगा। इसमें प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (अब कर्मचारी चयन मंडल) द्वारा आयोजित शिक्षक व पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी, कारम बांध सहित सड़क परियोजनाओं में अनियमितता के कारण हुई जनधन की हानि, ई-टेंडर घोटाले की जांच को दबाने, किसानों की ऋण माफी न करके किसानों को अपात्र बनाए रखने, राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं न होने, अन्य पिछ़ड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ न दिला पाने, रिक्त पदों पर भर्तियां न करने, बैकलाग के पद कई वषर्षों से रिक्त रहने, लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषषण प्रकोष्ठ को भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अधिकारियों व कर्मचारियों के विरद्घ अभियोजन की स्वीकृति न देने, पूरक पोषषण आहार और मध्याह्न भोजन में अनियमितता, राशन वितरण में गड़बड़ी सहित अन्य मुद्दों को शामिल किया गया है।