मिशन 2023: कम मतों से हारने वाली सीटों पर नाथ की विशेष नजर

भोपाल.मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में अगले एक साल

The Union Minister for Urban Development & Parliamentary Affairs, Shri Kamal Nath addressing a Press Conference on the Winter Session, 2012 of Parliament (12th Session of Fifteenth Lok Sabha and the 227thSession of the Rajya Sabha), in New Delhi on November 20, 2012…The Minister of State for Parliamentary Affairs & Planning, Shri Rajiv Shukla and the Minister of State (Independent Charge) for Development of North Eastern Region and Minister of State for Parliamentary Affairs, Shri Paban Singh Ghatowar are also seen..

बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अभी से पूरी ताकत के साथ चुनावी तैयारियों लग गई है। उसकी नजर इस बार विशेष रुप से उन सीटों पर है, जिन पर उसे बेहद कम मतों से हार का सामना करना पड़ा था। अगर कांग्रेस बीते चुनाव में इन सीटों पर थोड़ी ताकत लगा लेती तो कांग्रेस अभी विपक्ष की जगह सत्ता में होती। ऐसी सीटों की संख्या करीब दो दर्जन है, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशियों की हार का अंतर महज तीन हजार मतों से कम रहा है। इसमें आधा दर्जन सीटें तो ऐसी थीं, जिनमें कांग्रेस को 13 सौ मतों से भी कम के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। अब अभी से कमलनाथ अपनी पूरी टीम को एक्टिव कर करने जा रहे हैं, जहां एक साथ कई मोर्चों पर काम किया जाएगा।
कमलनाथ ने वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा कर प्रदेश की ऐसी विधानसभा सीटों को चिन्हित किया है जहां 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बेहद कम अंतर से हारना पड़ा था। इन सभी सीटों के लिए इस बार खास प्लान तैयार किया गया है। जिन सीटों पर कांग्रेस को सबसे कम मार्जिन से हार का सामना करना पड़ा था, उन सीटों में जौरा, बीना और कोलारस हैं। यानि कांग्रेस इनमें से पांच सीटें भी जीत जाती तो 2018 में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिल जाता। यही वजह है कि कांग्रेस इन सीटों पर अभी से पूरा फोकस करना चाहती है। दरअसल कांग्रेस ने 2023 विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति लगभग तैयार कर ली है। कांग्रेस ने प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों को तीन कैटेगिरी में बांटा है , जहां कांग्रेस सबसे पहले कम मार्जिन से हारने वाली सीटों पर पूरा फोकस करेगी। 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 24 विधानसभा सीटें ऐसी थीं, जिन्हें कांग्रेस 3 हजार वोटों के कम मार्जिन से हारी थी ऐसे में तीन हजार से कम मतों के अंतर से हुई हार-जीत वाली सीटों पर कांग्रेस इस पर पहले से ही तैयारियों में जुटी है। इनमें से कुछ सीटें तो ऐसी थी जिन पर 1 हजार से भी कम वोटों से हार जीत हुई थी।
बेहद कम अंतर से हारने वाली सीटें
बीते विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर कम मतों से कांग्रेस हार गई थी, उन सीटों पर अब प्रदेश से भारत जोड़ो यात्रा गुजरने के बाद पूर्व मंत्रियो का दौरा कार्यक्रम जारी होगा। कांग्रेस इन सीटों पर इसलिए भी फोकस कर रही है क्योंकि , अगर इनमें से कांग्रेस 10 या पांच सीटें भी जीत जाती तो वह बहुमत के आंकड़े को पार कर जाती लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ गया। जिन सीटों पर कांग्रेस को सबसे कम मार्जिन से हार का सामना करना पड़ा था उन सीटों में शामिल जौरा में 511 मतों से हार मिली बीना में 632 मतों से और कोलारस में 720 मतों से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। इसी तरह इंदौर की 5 नंबर विधानसभा सीट पर 1133 वोट से , छतरपुर की चांदला सीट पर 1177 वोट सतना की नागौद सीट 1234 वोट से कांग्रेस हार गई थी इस तरह कुल 6 सीटें कांग्रेस 1300 से भी कम अंतर से हारी थी।
सात सीटों पर कांग्रेस रही थी विजय
बहरहाल प्रदेश की सात सीटें ऐसी थीं ,जहां कांग्रेस ने बीजेपी को 1000 से भी कम वोटों से शिकस्त दी थी। यह सीटें अगर बीजेपी जीत जाती तो राज्य में लगातार चौथी बार बीजेपी की सरकार बन सकती थी। एमपी में बहुमत का जादुई आंकड़ा 116 था जो इन 7 सीटों से बीजेपी हासिल कर सकती थी। इनमें ग्वालियर साउथ – कांग्रेस 121, सुवासरा 350, जबलपुर उत्तर 578 , राजनगर 732, दमोह 798 और जौरा 826 वोटों से जीती थी। यह सीटें भी कांग्रेस के लिए कठिन मानी जा रही है। इसकी वजह से कांग्रेस इन सीटों पर भी फोकस करने जा रही है।
पूर्व मंत्रियों को सौंपा जाएगा जिम्मा
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस इन सीटों पर तैयारियों में जुटेगी। कमलनाथ ने इन सीटों पर फोकस करने की जिम्मेदारी पूर्व मंत्रियों को सौंपी है पूर्व मंत्री तरुण भनोट, सज्जन सिंह वर्मा, कमलेश्वर पटेल, उमंग सिंगार सहित कुछ और पूर्व मंत्रियों की फौज इन दो दजर्न सीटों पर तैनात की जाएगी। यह सभी पूर्व मंत्री इन सीटों का दौरा करेंगे और पिछले चुनाव में जो गलतियां हुई थी उन्हें इस बार सुधारने का प्रयास किया जाएगा। ताकि पिछले चुनाव की तरह स्थिति न बन सके।