एक साल से कम समय का कार्यकाल होने से नहीं कराए जाएंगे उपचुनाव.
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश में अगले साल यानि की करीब 11 माह बाद विधानसभा के आम चुनाव होने हैं, इस बीच कई विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है, जिसके चलते तय माना जा रहा है कि चुनावी साल में कई विधानसभा सीटों पर विधायक ही नहीं रहेंगे। ऐसी सीटों की संख्या आधा दर्जन से अधिक हो सकती हैं। फिलहाल तीन मौजूदा विधायकों की विधायकी का फैसला एक दो दिन में हो जाएगा। इन तीनों ही विधायकों को 19 दिसंबर तक का समय दिया गया है। इसके अलावा आधा दर्जन अन्य विधायकों पर भी विधायकी जाने का संकट बना हुआ है। इनमें से कई पर तो सुनवाई पूरी हो चुकी है बस फैसला भर आना बाकी है।
अगर यह फैसला भी विधायकों के खिलाफ आया तो इनके क्षेत्र भी बगैर विधायक के हो जाएंगे। चूंकि चुनाव में एक साल से कम का समय रह जाएगा, जिसकी वजह से उपचुनाव भी नहीं कराए जाएंगे, ऐसे में माना जा रहा है कि इन सीटों के लोगों को चुनाव होने तक तक का अपने क्षेत्र के विधायकों के लिए इंतजार करना होगा। फिलहाल सुमावली से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा , खरगापुर विधायक राहुल लोधी और अशोकनगर विधायक जजपाल जज्जी की विधानसभा सदस्यता तो खतरे में पड़ ही चुकी है। हाईकोर्ट इनके खिलाफ फैसला दे चुका है। अगर इन्हें सुप्रीम कोर्ट से स्ट्रे नही मिलता है तो उनकी विधायकी जाना तय है। इन तीनों ही नेताओं द्वारा अगर तीन दिन में वस्तु स्थिति स्पष्ट नहीं की जाती है तो विधानसभा सचिवालय आगे की कार्रवाई करेगा। नोटिस में जज्जी से कहा गया है, जाति प्रमाण-पत्र को लेकर जो आदेश हुए है उन पर आपका स्पष्टीकरण जल्द दें। विधानसभा ने यह भी साफ कर दिया इन विधायकों को 19 दिसंबर के पूर्व स्टे नहीं मिलता है तो वे शीतकालीन सत्र में भाग नहीं ले पाएंगे। इन विधायकों के सवालों पर अभी से रोक लगा दी गई है। उधर, जिन विधायकों के मामले हाईकोर्ट में लंबित हैं, माना जा रहा है कि उनमें भी दो तीन माह में फैसले आ सकते हैं। उनके खिलाफ यह मामले निर्वाचन की वैधता लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत हाई कोर्ट में विचाराधीन है। इन पर चुनावों में जानकारी छिपाने, गलत तरीके अपनाने जैसे आरोप हैं। जिनके खिलाफ मामले लंबित हैं, उनमें नेपानगर की सुमित्रादेवी कास्डेकर, टीकमगढ़-राकेश गिरी, पुष्पराजगढ़ के फुंदेलाल मार्को , बरगी के संजय यादव , रीवा के राकेश शुक्ला और कसरावद के विधायक सचिन यादव के नाम शामिल हैं।
वेतन-भत्ते रोके
दो भाजपा और एक कांग्रेस विधायक की सदस्यता पर कोर्ट के फैसले के बीच विधानसभा ने भी उनके वेतन-भत्ते और सदन के अधिकार फिलहाल स्थगित कर दिए हैं। साथ ही सुमावली से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा, खरगापुर से भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी के बाद अशोकनगर से भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी को नोटिस दे दिया है।
नोटिस में जज्जी से कहा गया है, जाति प्रमाण-पत्र को लेकर जो आदेश हुए है उन पर आपका स्पष्टीकरण जल्द दें। विधानसभा ने यह भी साफ कर दिया।है कि तीनों प्रकरणों में विधायकों को 19 दिसंबर के पूर्व स्टे नहीं मिलता तो वे शीतकालीन सत्र में भाग नहीं ले पाएंगे। इन विधायकों के सवालों पर अभी से रोक लगा दी गई है।
सुमित्रा के मामले में फैसला सुरक्षित
नेपानगर की विधायक सुमित्रादेवी कास्डेकर के विरुद्ध भाजपा की मंजू दादू ने 2019 में चुनावी याचिका दायर की थी। तब सुमित्रादेवी कांग्रेस के टिकट पर जीती थीं। लेकिन 2020 में इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर दोबारा जीत गईं। सुमित्रादेवी पर भी जानकारी छिपाने और आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है। जबलपुर हाई कोर्ट ने 1 नवंबर 2022 को इस केस में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर दिया है।
नहीं होंगे उप चुनाव
हाईकोर्ट के निर्णय पर तीन विधायकों की सदस्यता समाप्त होने के बाद भी प्रदेश में उप चुनाव की नौबत नहीं आएगी। फिलहाल प्रमुख सचिव विधानसभा ने तीनों विधायकों को नोटिस जारी करते हुए स्थिति स्पष्ट करने को कहा है और विधायक के अधिकार वापस ले लिए हैं। दो-तीन दिन में स्थित साफ हो सकेगी। उच्च न्यायालय ने भाजपा विधायक जजपाल सिंह जज्जी का जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया है। खरगापुर विधायक राहुल लोधी का चुनाव शून्य घोषित हो गया है। अजब सिंह कुशवाह को दो साल की सजा सुनाई गई है। परंतु विस सचिवालय ने अब तक सदस्यता समाप्त नहीं की है। तीनों विधायकों की सदस्यता समाप्त होने और प्रदेश में उप चुनाव को लेकर लोगों की नजरें लगी हुई हैं। लेकिन, संविधान विशेषज्ञ मानते हैं कि उप चुनाव की नौबत नहीं आएगी। ऐसे नियम हैं कि विधानसभा आम चुनाव के लिए अगर एक साल से कम का समय बचता है और किसी विधायक का चुनाव शून्य घोषित होता है या सजा सुनाई जाती है तो उप चुनाव की नौबत नहीं आएगी।