भोपाल। मंगल भारत। भाजपा ने 2024 चुनाव के लिए
सांसदी के जिन टिकटों का ऐलान किया है उनमें से सबकी नजर मध्य प्रदेश की गुना सीट पर है, जहां से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकट मिला है। दरअसल, 2019 के चुनाव में अजेय माने जा रहे कांग्रेसी सिंधिया के सामने भाजपा ने उनके की समर्थक केपी यादव को मोहरा बनाकर मैदान में उतार दिया था। इस चुनाव में केपी यादव को भारी जीत मिली थी। अब दोनों भाजपा में हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस सिंधिया के सामने किसको मोहरा बनाएगी?
गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार अब फिर अपने पुराने संसदीय क्षेत्र शिवपुरी-गुना से चुनाव मैदान में उत्तर चुके हैं। यह छठवीं बार है जब सिंधिया इस चुनावी रण में अपना राजनीतिक कौशल दिखाने को तैयार हैं। इससे पहले वह 2002 से 2019 तक लगातार चार बार यहां से सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2019 में जरूर वह चुनाव हार गए थे। यह उनके राजनीतिक जीवन की पहली हार थी। यह भी पहली बार था जब ग्वालियर राजघराने का कोई सदस्य अपने गढ़ में चुनाव हारा था। हालांकि तब से लेकर अब तक गंगा में काफी पानी बह चुका है। वर्ष 2019 के चुनाव के बाद बदली राजनीतिक परिस्थितियों में सिंधिया अब कांग्रेस के बजाय भाजपा में है। साथ ही केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। हालांकि इसके बाद से ही सिंधिया के चुनाव लडऩे की तमाम अटकले थी। महाराज चुनाव लडंगे या नहीं? और लड़ेंगे तो पाला ग्वालियर होगा या रण शिवपुरी-गुना को बनाएंगे? समर्थकों की विशेष इच्छा थी कि उनके महाराज अपने पिता की तरह रणछोड़ नहीं बनकर एक बार तो कम से कम गुना से ही चुनाव लड़कर अपने माथे पर लगे हार के कलंक को धोने का प्रयास करें। इससे पहले बुआ यशोधरा राजे सिंधिया के सामने कांग्रेस से कौन? के इनकार के बाद सिंधिया के शिवपुरी से भी विधानसभा चुनाव लडऩे की चर्चाएं सुनने को मिली थी। खुद वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने तब सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था की इन्हीं चर्चाओं के चलते केपी सिंह को पिछोर की बजाए कांग्रेस से शिवपुरी से दावेदारी दी गई है। जिससे सिंधिया को इसी एक विधानसभा में घेरा जा सके।
नाम कई, टिकट किसको
अलबता कांग्रेस के सामने जरूर अब यह पहाड़ सी चुनौती है कि वह सिंधिया के सामने अपने किस महारथी को उतारे? सिंधिया जहां से लड़ेंगे, वहां से लडऩे का ऐलान करने वाले उसके एक तथाकथित महारथी दिग्विजय सिंह तो पहले ही राज्यसभा का कार्यकाल शेष रहने की पहली गली तलाश कर चुनाव मैदान से ही किनारा कर चुके हैं। अब कारोसियों की इच्छा है कि सिधिया को गढ़ में ही घेरने दिग्विजय पुत्र राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह को सामने आना चाहिए। इस इच्छा पर जयवर्धन सिंह की हां या न अब तक सामने नहीं आई है। एक नाम वर्तमान सांसद केपी यादव का भी है।