बीते रोज कांग्रेस द्वारा प्रदेश की दस सीटों के लिए अपने
उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई है, जिसके बाद यह सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या कांग्रेस के यह चेहरे भाजपा को चुनौती दे पाएंगे। कांग्रेस ने अपने सबसे मजबूत चेहरों को उतारने का प्रयास किया है। इसकी वजह है कांग्रेस के पास इन क्षेत्रों में इससे अच्छे चेहरे ही नहीं थे। इनमें से कई चेहरे तो ऐसे हैं, जो बीता लोकसभा या फिर हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। अगर इन दस सीटों की बात की जाए तो तीन सीटों पर जरुर कांग्रेस प्रत्याशियों द्वारा अभी से कड़ी चुनौती देने की बात कही जाने लगी है। इनमें से दो सीटें तो वे हैं, जहां के भाजपा सांसद हाल ही में विधानसभा चुनाव हार चुके हैं।
सतना….
इस सीट पर कांग्रेस ने विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है। कुशवाह ने विधानसभा चुनाव में भाजपा सांसद और विधानसभा में चुनाव में प्रत्याशी गणेश सिंह को चुनाव हराया है। हालांकि सतना लोकसभा सीट कुर्मी वोट बैंक बाहुल्य है। इस सीट पर कुशवाहा वोटों की संख्या भी अच्छी खासी है। भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह कुर्मी समाज से आते हैं। ऐसे में सिद्धार्थ कुशवाहा के लिए मुकाबला आसान नहीं होगा।
भिंड….
कांग्रेस ने भांडेर से वर्तमान विधायक फूल सिंह बरैया को टिकट दिया है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर बरैया भाजपा प्रत्याशी संध्या राय को टक्कर देंगे। हालांकि बरैया अपने बयानों को लेकर विवाद में रहते है। बरैया को अपने बयानों की वजह से बड़ा नुकसान होने का अनुमान है। दिग्विजय सिंह के खास बरैया के लिए चुनावी मुकाबला कड़ा हो सकता है। हालांकि यहां से देवाशीश जारिया कांग्रेस से टिकट न मिलने से नाराज है।
मंडला….
ओंकार सिंह मरकाम डिंडौरी से विधायक हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट पर मरकाम का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते से है। मरकाम वर्तमान में कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य है। फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला से पिछला विधानसभा चुनाव हार गए है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में उनको मरकाम से कड़ी टक्कर मिलना तय मानी जा रही है।
सीधी….
कमलेश्वर पटेल विधानसभा चुनाव सिंहवाल सीट से हार गए। वे अभी कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पटेल कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उनके पिता भी मंत्री रहे हैं। सीधी में उनका मुकाबला डॉ. राजेश मिश्रा से है। पटेल ओबीसी के बड़े नेता है। सीधी ब्राह्मण और ठाकुर बाहुल इलाका है। ऐसे में पटेल के लिए चुनाव आसान नहीं होगा।
टीकमगढ़…
पंकज अहिरवार यूथ कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। उनके द्वारा जतारा से विधानसभा के टिकट की भी मांग की गई थी। अभी अनुसूचित जाति प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं। नए चेहरा और युवा हैं। उनकी सक्रियता क्षेत्र तक ही सीमित है। अंबेडकर मिशन परिषद के साथ अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के काम करते हैं। अहिरवार का मुकाबला भाजपा के वर्तमान केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक से है।
धार….
राधेश्याम मुवैल प्रदेश आदिवासी कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं। वे विधानसभा चुनाव में मनावर से टिकट मांग रहे थे। अभी यूथ कांग्रेस के कार्यकारी जिला अध्यक्ष हैं। आदिवासी वोटर बाहुल्य सीट पर भाजपा का प्रत्याशी घोषित होना है। यहां से कांग्रेस के पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि भाजपा उनको धार से प्रत्याशी बना सकती है। ऐसा होता है तो इस सीट पर मुकाबला कड़ा हो सकता है।
खरगोन….
पोरलाल खरते सेल्स टैक्स अधिकारी रहे हैं। विस चुनाव से पहले वीआरएस लेकर वे कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वे विस चुनाव में सेंधवा से टिकट मांग रहे थे। अजा के लिए आरक्षित सीट पर बीते एक साल से सक्रिय थे। यहां पर भाजपा ने सांसद गजेंद्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में पोरलाल के लिए चुनौती बड़ी मानी जा रही है। विधानसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्र की 8 में से 5 सीटों पर बढ़त बनाने से कांग्रेस में उत्साह का माहौल है।
देवास …
राजेंद्र मालवीय पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री राधा कृष्ण मालवीय के बेटे हैं। इनको 2013 में कांग्रेस ने विधानसभा टिकट दिया था, लेकिन चुनाव हार गए थे। बलाई समाज से आते हैं। यहां से सज्जन सिंह वर्मा चुनाव लड़ते थे, लेकिन उनके मना करने के बाद राजेंद्र मालवीय को टिकट दिया है। देवास सीट पर भाजपा ने सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी को फिर प्रत्याशी बनाया है। यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है।
बैतूल….
रामू टेकाम आदिवासी अनुसूचित जनजाति के प्रदेश अध्यक्ष हैं। यह आदिवासी सीट लंबे समय से सक्रिय हैं। कांग्रेस ने उनको 2019 में भी प्रत्याशी बनाया था। आदिवासी जनजाति वोट बाहुल्य बैतूल सीट पर उनका मुकाबला फिर से भाजपा सांसद दुर्गादास उइके से होगा। रामू टेकाम पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के समर्थक माने जाते हैं। वे पिछला चुनाव करीब साढ़े तीन लाख से अधिक मतों से हारे थे।