आचार संहिता में लॉक हुआ कई अफसरों का भाग्य

अब जून के बाद ही बदल सकती है किस्मत.

भोपाल/मंगल भारत। मप्र में अब शासन-प्रशासन चुनावी मोड में है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगते ही जो अफसर जहां है वह वहीं लॉक हो गया है। यानी अभी तक जो अफसर (आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, राप्रसे और रापुसे) लूपलाइन में है और जो मेनस्ट्रीम में वह जून के पहले पखवाड़े तक वहीं रहेगा। यानी जब तक आचार संहिता नहीं हटेगी, तब तक प्रदेश में तबादले रूके रहेंगे। ऐसे में लूपलाइन में पड़े अधिकारियों का भाग्य जून के बाद ही बदल सकता है।
गौरतलब है कि प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद 500 से अधिक आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, राप्रसे और रापुसे के तबादले हुए हैं। लेकिन उसके बाद भी कई अफसर लूपलाइन में हैं। वहीं लोकसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व दो दिनों में अधिकारियों के ताबड़तोड़ ट्रांसफर किए। करीब 48 घंटे में आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, राप्रसे और रापुसे के कुल 180 अधिकारियों के ट्रांसफर किए गए। कुछ जिलों में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी बदले गए। लंबे समय से लूपलाइन में पड़े कई आईएएस अधिकारियों को फील्ड पोस्टिंग की आस थी, लेकिन कुछ अधिकारी इससे बंचित रह गए। अब उन्हें मेनस्ट्रीम में आने के लिए कम से कम तीन महीने का इंतजार करना पड़ेगा। जून में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद ही अधिकारियों की नई पदस्थापना की जा सकेगी।
कम से कम 3 माह का और इंतजार
गौरतलब है की लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक ही स्थान पर तीन साल से पदस्थ लगभग सभी अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है। ऐसे में लंबे समय से लूपलाइन में पड़े कुछ अधिकारियों की अच्छे पदों पर पोस्टिंग की गई और वर्षों से मेनस्ट्रीम में रहे कुछ अधिकारियों को लूपलाइन में भेज दिया गया है। ऐसे में फील्ड पोस्टिंग का इंतजार कर रहे कई अधिकारियों को आस थी कि लोकसभा चुनाव से पूर्व होने वाली प्रशासनिक सर्जरी में उनकी भी लॉटरी लग जाएगी। इसके लिए वे जोड़-तोड़ में भी जुटे थे। ताजा प्रशासनिक फेरबदल में कुछ अधिकारियों को पसंदीदा पोस्टिंग मिल गई और कई इससे वंचित रह गए। अब लोकसभा चुनाव के बाद ही उनकी नई पोस्टिंग हो पाएगी। कई अधिकारी तो महत्वपूर्ण पद से हटने के एक माह बाद ही जुगाड़ लगाकर मनचाही पदस्थापना पा ली।
जिन आईएएस अधिकारियों के रिटायरमेंट का वक्त नजदीक है, फील्ड पोस्टिंग नहीं होने से वे ज्यादा चिंतित है। वहीं खास बात यह है कि नई सरकार में भले ही वर्षों से मेनस्ट्रीम में रहे अधिकारियों को हटाया जा रहा है, लेकिन मंत्रालय में पदस्थ कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ऐसे हैं, जिनका रुतबा पिछली सरकार में भी था और अब भी है। ये अधिकारी वर्षों से एक ही विभाग में जमे हैं, पर उनका ट्रांसफर नहीं किया गया। ताजा प्रशासनिक फेरबदल में भी इन अधिकारियों का तबादला नहीं होने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि अरुण शमी ने तो विभाग में पदस्थापना का नया रिकॉर्ड कायम कर दिया।
कलेक्टरी में पिछड़ा मप्र कैडर…
मप्र में कैडर मिस मैनेजमेंट के कारण युवा आईएएस अधिकारी कलेक्टर बनने में पिछड़ते जा रहे है। मप्र में अभी 2014 बैच तक के आईएएस अधिकारी ही कलेक्टर बन पाए हैं। 2015 से लेकर इसके बाद के बैच के अफसर बेसब्री से कलेक्टर बनने का इंतजार कर रहे हैं। 2015 बैच के अफसरों को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से पूर्व उनके बैच की कलेक्टर के पद पोस्टिंग शुरू हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभी 2014 बैच के चार अधिकारी कलेक्टर बनने की कतार में है। जानकारी के मुताबिक उड़ीसा में 2018 बैच, राजस्थान में 2016 बैच और छत्तीसगढ़ में 2017 बैच के आईएएस अफसरों की जिला कलेक्टर के पद पोस्टिंग हो चुकी है। वर्ष 2012 बैच की महिला अधिकारी को अपनी ईमानदारी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जिला कलेक्टर के पद पर पोस्टिंग में देरी का असर आईएएस अफसरों के मनोबल पर पड़ रहा है। एक ही पर कई वर्षों तक पोस्टिंग से उनका मनोबल टूट रहा है। दूसरे राज्यों में उनके बैच के अधिकारी कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं और मप्र में आईएएस अफसर वर्षों से जिला पंचायत सीईओ, नगर निगम कमिश्नर, एडीएम, मंत्रालय में उप सचिव जैसे पदों पर पदस्थ हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि कुछ अफसरों को लगातार जिले दिए जा रहे है, जबकि जिनका कोई माई बाप नहीं है, उन्हें योग्यता या वरिष्ठता के आधार पर पदस्थापना नहीं मिल रही है।