जयस के खतरे से भाजपा व कांग्रेस में बढ़ी चिंता

प्रदेश में आदिवासियों के नए संगठन जयस की सक्रियता से भाजपा व कांग्रेस के रणनीतिकारों की इन दिनों चिंता बढ़ी हुई है। दअरसल प्रदेश की 47 विस सीटें ऐसी हैं जो आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। यह सीटें दोनो ही दलों के लिए महत्वपूर्ण इसलिए मानी जाती है क्योंकि जिस दल द्वारा यह सीटें जीत ली जाती है प्रदेश में उसकी ही सरकार बनती है। यही वजह है कि अब आदिवासी मतदाताओं को साधने के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार विश्व आदिवासी दिवस मनाने जा रही है। बीते कुछ सालों से आदिवासी युवाओं द्वारा बनाए गए नए संगठन जयस आदिवासी इलाकों में सक्रिय बना हुआ है। इस संगठन ने छात्रसंघ चुनाव में अपनी ताकत दिखकर सभी को चौंका दिया था। यह संगठन अब विस चुनाव में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी कर रही है। संगठन द्वारा प्रदेश में इस समय आदिवासी अधिकार यात्रा निकाली जा रही है। इस यात्रा को व्यापक समर्थन मिल रहा है जिससे कांग्रेस व भाजपा के नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें एभर आयी हैं। जयस ने अब भाजपा व कांग्रेस के द्वारा आदिवासी समुदाय को लुभाने के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का बहिष्कार करने का आहवान किया है। उधर मुख्यमंत्री ने हाल ही में जयस के अध्यक्ष डॉ. हीरा समेत संगठन के अन्य नेताओं से मुलाकात कर आदिवासी सियासत को और हवा दे दी है।
आदिवासी कल्याण दिवस मनाने की तैयारी
– सियासत के केंद्र में आदिवासी सीटें प्रदेश की 47 आदिवासी सीटों में से भाजपा के पास 32 सीटें हैं, इसलिए चिंता भाजपा को ज्यादा है। सरकार विश्व आदिवासी दिवस को आदिवासी कल्याण दिवस के रूप में मना रही है। सीएम धार में आयोजित कार्यक्रम के मंच से सभी बीस जिलों के आदिवासियों को संबोधित करेंगे, सीएम के भाषण का प्रसारण सभी जिलों में लाइव दिखाया जाएगा, इस मौके सीएम उनके कल्याण के लिए सरकार की योजनाएं गिनाने वाले हैं, कुछ बड़ी घोषणाएं भी सीएम इस मौके पर कर सकते हैं। वहीं कांग्रेस हर ब्लॉक में कार्यक्रम आयोजित कर रही है।
आदिवासी कांग्रेस का मानना है कि प्रदेश में 47 आरक्षित सीटों के अलावा 35 सीटें ऐसी हैं जहां पर आदिवासी वोट निर्णायक हैं, इसलिए उन्होंने अपनी रिपोर्ट में पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ को ये सुझाव दिया है कि उन सीटों पर भी आदिवासी उम्मीदवार बनाने पर विचार किया जाए।
बुदनी,सिलवानी और भोजपुर जैसी हाईप्रोफाइल सीटों पर भी आदिवासी उम्मीदवार उतारने पर विचार किया जा सकता है।
इनका कहना है
-जयस का असर पड़ेगा,भाजपा इसीलिए उस पर डोरे डाल रही है। कांग्रेस ये समझाएगी कि आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक समझा जाता है।
– अजय शाह अध्यक्ष, आदिवासी कांग्रेस, मप्र
– जयस सामाजिक संस्था है इसलिए राजनीति न करे, प्रदेश में उसका कोई प्रभाव नहीं, आदिवासियों के लिए सरकार ने बहुत काम किए हैं।
– गजेंद्र पटेल अध्यक्ष,भाजपा एसटी मोर्चा, मप्र
– जयस आदिवासी अधिकार यात्रा निकालकर लोगों को जागरुक कर रहा है ताकि वो भाजपा-कांग्रेस के झांसे में न आएं और उनके कार्यक्रमों का बहिष्कार करें। – डॉ. हीरा अलावा अध्यक्ष,जयस,मप्र