पंद्रह साल से सत्ता का वनवास भोग रही कांग्रेस ने इस बार पूरी ताकत से भाजपा को घेरने की रणनीति के तहत प्रत्याशी चयन प्रक्रिया को अंजाम दिया है, मगर भाजपा ने इस प्रक्रिया में अपनों को ही नाराज कर लिया है।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में तीन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। तीनों विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा के टिकट के दावेदारों ने नामांकन भरकर चुनाव मैदान में डटे रहने का फैसला लिया है। वहीं अंतिम समय में कांग्रेस ने बुधनी में अरुण यादव को प्रत्याशी बनाकर भाजपा के लिए चिंता खड़ी कर दी है। भाजपा मुख्यमंत्री को चिंतामुक्त रखकर पूरे प्रदेश में उनके चेहरे पर चुनाव लड़ना चाहती थी, मगर अब यहां पर मेहनत ज्यादा करनी पड़ेगी।
15 साल से सत्ता का वनवास भोग रही कांग्रेस
पंद्रह साल से सत्ता का वनवास भोग रही कांग्रेस ने इस बार पूरी ताकत से भाजपा को घेरने की रणनीति के तहत प्रत्याशी चयन प्रक्रिया को अंजाम दिया है, मगर भाजपा ने इस प्रक्रिया में अपनों को ही नाराज कर लिया है। भाजपा में कांग्रेस से ज्यादा असंतोष नजर आ रहा है। हर जिले में भाजपा को बागियों की चिंता ने सता रखा है। बागियों को मनाने की कवायद की जा रही है, मगर इस बार वरिष्ठ नेता भी इन बागियों को समझा नहीं पा रहे हैं।
सीएम के गृह जिले में भी बगावत
बागियों की बगावत से खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला सीहोर भी अछूता नहीं रहा है। सीहोर जिले में सीहोर, इछावर, आष्टा और बुधनी विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इन चार विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा को तीन विधानसभा क्षेत्रों इछावर, सीहोर और आष्टा में बागियों की बगावत की चिंता सता रही है। यहां पर भाजपा के दावेदारों ने अपना नामांकन भर दिया है और वे फिलहाल नामांकन वापस लेते नजर नहीं आ रहे हैं। इन नाराज दावेदारों को भाजपा ने पहले तो मनाने का प्रयास नहीं किया, मगर अब जब वे मैदान में उतार आए तो भाजपा के वरिष्ठ नेता चिंतित हुए और इन्हें मनाने का प्रयास किया, मगर ये बागी अपनी बात पर अडिग हैं।
सीहोर से भाजपा ने सुदेश राय को प्रत्याशी बनाया
सीहोर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने निर्दलीय विधायक सुदेश राय को भाजपा का प्रत्याशी बनाया है। यहां पर भाजपा द्वारा प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही पार्टी के नेता नाराज नजर आए। सीहोर में पूर्व विधायक रमेश सक्सेना और उनकी पत्नी ऊषा सक्सेना ने नामांकन भर दिया है। रमेश सक्सेना सीहोर से पत्नी को निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में मैदान में उतारने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा ने टिकट वितरण में कार्यकर्ताओं की अनदेखी की है। वहीं भाजपा के एक और नेता गौरव सन्नी ने भी अपना नामांकन भर दिया है। वे भी फिलहाल मैदान छोड़ते नजर नहीं आ रहे हैं।
भाजपा ने इछावर से करण सिंह वर्मा को टिकट दिया
सीहोर से अलावा इछावर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने पूर्व मंत्री करण सिंह वर्मा को टिकट दिया है। वर्मा को टिकट मिलने से यहां पर अजय पटेल नाराज हो गए हैं। पटेल ने उनके खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपना नामांकन भर दिया है। इसी तरह आष्टा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने वर्तमान विधायक रणजीत सिंह गुणवान के स्थान रघुनाथ मालवीय को उम्मीदवार बनाया है। यहां पर भाजपा नेत्री और जनपद पंचायत अध्यक्ष उर्मिला मरेठा ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलकर भाजपा की चिंंता को बढ़ा दिया है। वे भी नामांकन वापस नहीं लेने की बात कह रही है।
यादव बने भाजपा की चिंता
बुधनी से अप्रत्याशित तरीके से कांग्रेस ने एनवक्त पर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव को मैदान में उतारा है। यादव के यहां से प्रत्याशी बनाए जाने से कांग्रेस में भीतरघात की जो आशंका थी, वह तो दूर हुई, मगर भाजपा जिस तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिंतामुक्त रखना चाहती थी, वहीं उसकी चिंता बन गई। यादव पिछड़े वर्ग के बड़ा चेहरा है और शिवराज सिंह चौहान भी इसी वर्ग से आते हैं। इसके अलावा कांग्रेस यहां से अर्जुन आर्य को टिकट देना चाहती थी, मगर राजकुमार पटेल आड़े आ सकते थे, इस वजह से कांग्रेस ने अर्जुन आर्य को टिकट न देकर यादव पर दांव खेला, जो भाजपा की चिंता बन गए।
मिश्रा संभालेंगे यादव का मोर्चा
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता के।के।मिश्रा अरुण यादव के चुनाव प्रचार की कमान संभालेंगे। यादव ने उन्हें प्रत्याशी घोषित होते ही इसकी सूचना भी दे दी है। मिश्रा पर शिवराज सिंह चौहान ने मानहानि का दावा ठोका है। मिश्रा को यहां की चुनाव की रणनीति बनाने, मीडिया में मुद्दा उठाने और सरकार के खिलाफ आक्रामक रुप से प्रहार करने की जिम्मेदारी दी है। मिश्रा लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर प्रवक्ता रहते हुए आक्रामक रहे और कई आरोप उन्होंने मुख्यमंत्री और उनके परिजनों पर लगाए। मिश्रा के पास कई ऐसे सबूत हैं, जो मुख्यमंत्री के लिए संकट भी बन सकते हैं। यही वजह है कि यादव को उन पर भरोसा भी है। यादव के कार्यकाल में शिवराज सिंह के खिलाफ मिश्रा ने कई मुद्दे उठाए जिन्हें लेकर भाजपा और मुख्यमंत्री तक विचलित भी हुए। मामले अदालत तक भी पहुंचे।