एक वकील द्वारा पहलगाम आतंकी हमलेकी न्यायिक जांच की मांग को ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘यह एक महत्वपूर्ण समय है जब देश के हर नागरिक ने आतंकवाद से लड़ने के लिए हाथ मिलाया है. ऐसी याचिकाएं दायर करके हमारी सेना का मनोबल न गिराएं.’
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग वाली याचिका गुरुवार (1 मई) को खारिज कर दी. अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसी याचिकाएं केवल सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने की कोशिश करती हैं, ऐसे समय में जब देश का हर व्यक्ति आतंकवाद से लड़ने के लिए एकजुट है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता फ़तेश साहू को राष्ट्र के प्रति उनकी जिम्मेदारी की याद दिलाई और हमले की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने की मांग वाली याचिका दायर करके ‘गैर-जिम्मेदाराना’ कार्य करने के लिए उनकी आलोचना की.
पीठ ने कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण समय है जब देश के प्रत्येक नागरिक ने आतंकवाद से लड़ने के लिए हाथ मिलाया है. ऐसी याचिकाएं दायर करके हमारी सेना का मनोबल न गिराएं.’
इस पीठ में जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह भी शामिल थे.
इस मामले में वकील और याचिकाकर्ता साहू ने अदालत को स्पष्ट किया कि उनका इरादा सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने का नहीं था और वह याचिका वापस लेने को तैयार हैं.
पीठ ने उन्हें ऐसी याचिकाएं दायर करने से पहले सावधानी बरतने की याद दिलाते हुए कहा, ‘आप पर देश के प्रति जिम्मेदारी है और आप हमारे सुरक्षा बलों का मनोबल गिराने के लिए यह तरीका अपना रहे हैं?’
पीठ ने साहू से पूछा, ‘सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कब से मामलों की जांच करने में विशेषज्ञ बन गए हैं? आपने अनुरोध किया है कि इस न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश को घटना की जांच करनी चाहिए. न्यायाधीश अपने समक्ष विवादों का निपटारा करते हैं. उन्हें जांच करने की विशेषज्ञता कब से प्राप्त हुई है?’
इस पर याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि उनकी चिंता राज्य में पढ़ रहे छात्रों के लिए है क्योंकि इस हमले में देश के अन्य हिस्सों से आए पर्यटकों और नागरिकों की जान चली गई थी जो वहां छुट्टियां मना रहे थे.
अदालत ने कहा, ‘बेहतर होगा कि आप इस याचिका को वापस ले लें. हमें कोई आदेश पारित करने के लिए न कहें.’
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि ऐसी याचिकाएं हाईकोर्ट में भी नहीं जानी चाहिए.
अदालत ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दी और केवल छात्रों की सुरक्षा के पहलू पर साहू को संबंधित हाईकोर्ट में जाने की अनुमति दी.
गौरतलब है कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम इलाके के बैसरन मैदान में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में कम से कम 26 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे. इसके बाद भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ कई कूटनीतिक कदम उठाए गए, जिसमें 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया.
इसके अलावा भारत ने अटारी बॉर्डर पोस्ट को बंद करने, वीजा रद्द करने और कई पाकिस्तानी अधिकारियों को भारत से निष्कासित करने का भी फैसला लिया है.