सरकार कराएगी भाजपा एमएलए संजय पाठक की खदानों की जांच

भोपाल/मंगल भारत.


भाजपा के सबसे अधिक अमीर और सरकार व संगठन में बेहद रसूखदार माने जाने वाले विधायक संजय पाठक की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। इसकी वजह है वे कंपनियां जो खनिज खनन का कारोबार करती हैं और उनमें उनके परिजन साझेदार हैं। दरअसल, इन कंपनियों द्वारा किए जाने खनिज खान की शिकायत के बाद अब सरकार ने उनकी जांच कराने के निर्देश दिए हैं। शिकायत की जांच के लिए खनिज विभाग ने मनीष पालेवार उप संचालक खनिज शाखा बैतूल और अनित पंड्या, प्रभारी खनिज अधिकारी सागर का जांच दल गठित किया है। जांच दल से 15 दिन के भीतर जांच प्रतिवेदन देने को कहा है। मध्यप्रदेश शासन खनिज साधन विभाग मंत्रालय भोपाल अवर सचिव द्वारा बीते माह 23 अप्रैल को आदेश जारी करते हुए पत्र क्रमांक 1766/2757911/2025/12/1 द्वारा कहा गया कि आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, भोपाल से प्राप्त शिकायती पत्र क्रमांक प्रकोष्ठ/अपराध/ जबलपुर/ आवक क्रमांक 740-ए/2025/740-बी, दिनांक 18 मार्च 2025 शिकायतकर्ता आशुतोष मनु दीक्षित, निवासी नई बस्ती जिला कटनी द्वारा जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील मेसर्स आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन, मेसर्स निर्मला मिनरल्स एवं पैसिफिक एक्सपोर्ट के संबंध में प्रस्तुत अभ्यावेदन दिनांक 31 जनवरी 2025 के संदर्भ में बिन्दुवार परीक्षण कर जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराये जाने हेतु जांच दल गठित किया गया है।
पाठक के परिजनों की हैं कंपनियां
शासन ने शिकायत की जांच के आधार पर जिन खनिज कंपनियों के संबंध में जांच रिपोर्ट मांगी है, उनके कर्ताधर्ता विधायक संजय पाठक के परिजन ही हैं। मेसर्स आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन में निर्मला पाठक और यश पाठक पार्टनर हैं। इस कंपनी के एमडी वरुण गौतम हैं। इसी तरह निर्मला मिनरल्स और पैसिफिक एक्सपोर्ट में भी परिजन शामिल हैं।
पहले भी लगे आरोप
ऐसा नहीं है कि अवैध माइनिंग को लेकर पाठक पर पहली बार आरोप सामने आया हो। वर्ष 2011/12 में विधानसभा चुनाव के पहले भी जब पाठक कांग्रेस पार्टी के विधायक हुआ करते थे, उस दौरान भी इनके ऊपर कई 100 करोड़ की अवैध माइनिंग करने के आरोप सामने आए थे। यह बात और है कि आरोपों के सामने आने के बाद इन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर अपने हाथों में कमल थाम लिया था, जिसके बाद इनके ऊपर लगे सारे आरोप हवा हो गए थे। ऐसे में अब अपने ऊपर लग रहे आरोपों जांच से पाठक कैसे निकालते हैं यह देखना दिलचस्प होगा। हालांकि जिस तरह का उनका रसूख है उससे माना जा रहा है कि ऐसे में क्या प्रदेश सरकार इनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच पूरी निष्पक्षता से कर पाएगी।