-सहकारिता विभाग तैयार कर रहा है एकमुश्त समझौता योजना
-डिफाल्टर किसानों पर है 5700 करोड़ रुपए का कर्ज
भोपाल/प्र्च्छू्क 5700 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे किसानों को राहत देने के लिए सहकारिता विभाग एकमुश्त समझौता योजना तैयार कर रहा है। इस योजना के तहत कर्ज नहीं चुकाने के कारण डिफाल्टर हुए 14 लाख 57 हजार किसानों को सरकार ब्याज माफी देने जा रही है। इसमें किसानों को मूलधन चुकाने पर लगभग 200 करोड़ रुपए की ब्याज माफी दी जाएगी। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में कमल नाथ सरकार ने किसान ऋण माफी योजना लागू की थी लेकिन इसका फायदा किसानों को नहीं मिल पाया। सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि योजना के कारण किसानों ने समय पर ऋण नहीं चुकाया और डिफाल्टर हो गए।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद सहकारिता विभाग एकमुश्त समझौता योजना तैयार कर रहा है। डिफाल्टर किसानों के ऊपर 5700 करोड़ रुपए का कर्ज है। प्रदेश में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को ब्याज रहित अल्पावधि ऋण दिया जाता है। प्रतिवर्ष 27-28 लाख किसान खरीफ और रबी फसलों के लिए ऋण लेते हैं और उपज आने पर ऋण चुका देते हैं। यही क्रम चलता रहता है।
तय सीमा में कर्ज चुकाने पर मिलेगा लाभ
गौरतलब है कि डिफाल्टर किसान को ब्याज देना पड़ता है और आगे ऋण भी नहीं मिलता है। इससे परेशान किसानों की मदद करने के लिए मुख्यमंत्री ने ब्याज माफी की घोषणा की है। इसके लिए सहकारिता विभाग एकमुश्त समझौता योजना ला रहा है। इसमें किसान द्वारा निश्चित समय सीमा में मूलधन चुकाने पर ब्याज माफी दी जाएगी। मूलधन दो या तीन किस्तों में अदा किया जा सकेगा। इसके लिए सहकारिता विभाग एकमुश्त समझौता योजना बना रहा है। इसके पहले भी सरकार किसानों को कर्ज के बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए एकमुश्त समझौता योजना लागू कर चुकी है। राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के एक लाख से ज्यादा किसानों के लिए योजना लागू की गई थी। इसमें भी ब्याज माफ किया गया था। 15 हजार से ज्यादा किसानों ने योजना का फायदा उठाया था। घाटे में चलने के कारण सरकार ने बैंक को बंद करने का निर्णय लिया है और परिसमापन की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि, कर्जदार किसानों से ऋ ण वसूलने का दायित्व जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को सौंपा जा रहा है क्योंकि किसानों को ऋण नाबार्ड से राशि लेकर दिया गया था।
समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी शुरू
न्यूनतम समर्थन मूल्य (दो हजार 15 रुपये प्रति क्विंटल) पर गेहूं का उपार्जन सोमवार से शुरु हो गया है। इसकी शुरुआत इंदौर और उज्जैन संभाग से की गई है , जबकि, नर्मदापुरम, जबलपुर, रीवा, शहडोल, सागर, ग्वालियर, चंबल और भोपाल संभाग में चार अप्रैल से गेहूं खरीदा जाएगा। इसके लिए प्रदेशभर में चार हजार 663 केंद्र बनाए गए हैं। उपार्जन से पहले पंजीकृत किसान की पात्रता की जांच नोडल अधिकारी करेंगे। किसानों को उपज का भुगतान आधार से लिंक खाते में किया जाएगा। खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उपार्जन की सभी तैयारियां हो चुकी हैं। इस बार प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए 19 लाख 81 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है। उपार्जन में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इसके लिए सभी किसानों का बायोमैट्रिक सत्यापन कराया गया है। पांच लाख से ज्यादा किसानों के आधार नंबर में संशोधन कराने के साथ नए मोबाइल नंबर दर्ज कराए गए हैं। 28 हजार 298 किसानों ने नामिनी के माध्यम से पंजीयन कराया है। इस बार किसानों को उपज बेचने के लिए एसएमएस नहीं भेजे जाएंगे। किसानों ने अपनी मर्जी से उपार्जन केंद्र और उपज बेचने की तारीख का चयन किया है। सभी उपार्जन केंद्रों में किसानों का सत्यापन करने के लिए बायोमेट्रिक मशीनें उपलब्ध कराई गई हैं। किसान जब उपार्जन केंद्र पहुंचेगा तो उसकी पात्रता की जांच होगी और फिर तौल होने के बाद किसान को सीधे खाते में भुगतान होगा। इसकी सूचना एसएमएस के माध्यम से दी जाएगी। संचालक खाद्य नागरिक आपूर्ति दीपक सक्सेना ने बताया कि गेहूं के उपार्जन केंद्र से परिवहन, भंडारण, बोरे आदि की संपूर्ण व्यवस्था कर ली गई है। उपार्जन केंद्रों पर किसानों को कोई परेशान न हो, इसके निर्देश दिए गए हैं।